अभियोजन के सबूतों को कोर्ट ने पर्याप्त नहीं पाया

सन् 2008 में अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान तत्कालीन महापौर की हुई थी मौत

बिलासपुर। अपोलो के भूतपूर्व सीनियर कंसल्टेन्ट कार्डियोलाजिस्ट डॉ. जयराम अय्यर तत्कालीन महापौर अशोक पिंगले की इलाज के दौरान हुई मौत के मामले में कोर्ट से बरी हो गये हैं।

दो अगस्त 2008 को शहर के तत्कालीन महापौर अशोक पिंगले को सीने में दर्द की शिकायत के बाद अपोलो अस्पताल में दाखिल कराया गया था।  10 दिन बाद उनकी मौत हो गई। अभियोजन के अनुसार उनकी मौत 11 अगस्त की रात हो गई थी लेकिन इस बात को जान-बूझकर छिपा कर रखा गया और 12 अगस्त को सुबह तीन बजे उनके मौत की जानकारी दी गई।

महापौर की मौत हो जाने की खबर 11 अगस्त की रात में फैल गई थी और बड़ी संख्या में उनके समर्थकों व शुभचिंतकों की भीड़ भी अपोलो अस्पताल पहुंच गई थी। उनकी मृत्यु की पुष्टि होने के बाद उत्तेजित समर्थकों ने काफी हंगामा किया और अस्पताल परिसर में तोड़फोड़ भी की। अपोलो अस्पताल के तत्कालीन प्रशासन ने उनका इलाज करने वाले डॉक्टर जयराम अय्यर को बर्खास्त कर दिया। इधर पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ गैरइरादतन हत्या 304 ए, साक्ष्य मिटाने की धारा 201 तथा मृत्यु की जानकारी छिपाने पर 468 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज कर लिया।

बाद में उनके परिजनों की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर डॉ. अय्यर और पिंगले की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति मांगी गई। कोर्ट ने डॉ. अय्यर के खिलाफ धारा 201 और 304 ए को हटा दिया और धारा 468 के तहत सुनवाई के लिए निचली कोर्ट को आदेश दिया। राज्य शासन ने दो धाराओं को हटाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, पर हाईकोर्ट का आदेश वहां बरकरार रखा गया। उनके खिलाफ साक्ष्य छिपाने व लापरवाही के कारण हत्या की धाराएं हटाकर केवल कूट रचना कर जानकारी छिपाने के अपराध में मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई। वारंट जारी होने के बाद डॉ. अय्यर ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। बाद में उन्हें जमानत मिल गई।

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में चली। इस मामले में सोमवार को आये फैसले में डॉ. अय्यर को दोषमुक्त कर दिया गया। कोर्ट का मानना था कि अभियोजन पक्ष की दलीलों में सबूतों का अभाव था, जिसके चलते आरोप सिद्ध नहीं होता।

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