अत्याधुनिक डिवाइस और तकनीक का इस्तेमाल करते थे आरोपी, क्लोन किये 60 एटीएम कार्ड बरामद

बिलासपुर। एटीएम की क्लोनिंग कर दर्जनों खातों से लाखों रुपये पार करने वाले अंतर्राज्जीय गिरोह के पांच आरोपियों को पुलिस ने राजधानी रायपुर से धर दबोचा। ये अपने काम में इतने माहिर थे कि चलती गाड़ी में भी क्लोन एटीएम कार्ड तैयार कर लेते थे। इनसे करीब 60 एटीएम बरामद किये गये हैं, जिनमें से अधिकांश क्लोन्ड हैं। ऑनलाइन शॉपिंग के जरिये खरीदे गये क्लोनिंग उपकरण, लैपटॉप, स्कीमर डिवाइस, ब्रेजा कार सहित नगदी भी इन आरोपियों से जब्त किये गए हैं।

बीते सात दिसम्बर को रेलवे के सेवानिवृत्त कर्मचारी हेमूनगर निवासी देवलाल पासवान दयालबंद स्थित प्रयाग डेंटल कॉलेज के पास लगे एसबीआई के एटीएम से रुपये निकालने गये लेकिन नहीं निकले। तभी वहां खड़े दो युवकों ने मदद के बहाने उनका कार्ड ले लिया और दूसरा एटीएम देकर रुपया निकालने कहा। यहां से पासवान पांच हजार रुपये निकालकर बूथ से बाहर आ गये। पासवान को इसके बाद धार्मिक यात्रा पर जाने के लिए रकम की जरूरत पड़ी। वे 10 दिसम्बर को रुपये निकालने एटीएम पहुंचे तो रकम नहीं निकली। बैंक गये तो पता चला कि उनके खाते से रुपये निकल चुके हैं। हैरान पासवान ने उसी दिन सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराई जिसकी सूचना पुलिस अधीक्षक को दी गई।

प्रारंभिक विवेचना में ही मामला एटीएम क्लोनिंग का प्रतीत होने पर पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने पुलिस महानिरीक्षक प्रदीप गुप्ता को इसकी जानकारी दी। उन्होंने एएसपी ओपी शर्मा, सीएसपी सिविल लाइन आरएन यादव तथा साइबर सेल के डीएसपी विश्व दीपक त्रिपाठी को त्वरित कार्रवाई के लिये निर्देश दिया। साइबर सेल व सिविल लाइन थाने के प्रभारी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों से तकनीकी साक्ष्य एकत्र किये। इसी दौरान विश्वसनीय जानकारी मिली कि एक संदेही गिरोह रायपुर जिले में सक्रिय है। इस दौरान उनका मूवमेंट रायपुर से बिलासपुर की ओर मिला। पुलिस टीम ने सक्रियता दिखाते हुए घेराबंदी कर संदिग्ध वाहन की तलाश शुरू की। एक चिन्हित ब्रेजा कार को रोककर उसमें सवार युवकों से पूछताछ की गई। शुरू में वे गोल-मोल जवाब देते रहे लेकिन कड़ाई से पूछताछ करने पर उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया कि वे देशभर में घूम-घूमकर एटीएम क्लोनिंग के माध्यम से वारदात को अंजाम देते थे।

पुलिस ने कार पर सवार पांच आरोपियों को हिरासत में ले लिया। इनमें ओंकार सिंह (36वर्ष) निवासी गिमना रोड जमशेदपुर झारखंड,  सिशंत कुमार सिंह (31 वर्ष) धनगांव, थाना फतेहपुर जिला गया बिहार, राकेश रंजन सिंह (38 वर्ष) गौरसिटी नोएडा व कल्याणपुर मुंगेर (बिहार),  राजीव रंजन सिंह बेकारबंध धनबाद, झारखंड, सूरज कुमार सिंह (28 वर्ष), रामगढ़ थाना गुरकुण्डा झारखंड शामिल हैं।

पुलिस की लम्बी पूछताछ के बाद इन आरोपियों ने बताया कि वे दो तरीकों से इस ठगी को अंजाम देते रहे हैं। पहला एटीएम कार्ड रीडर के माध्यम से और दूसरा मिनी स्कीनिंग डिवाइस के जरिये।

एटीएम कार्ड रीडर का इस्तेमाल कर ठगी करने के लिए आरोपी ऐसे बूथ का चयन करते थे जहां दो मशीनें लगी हों। गिरोह के दो लोग एटीएम के बाहर खड़े रहते थे, दो लोग बूथ के अंदर चले जाते थे। वे यहां एटीएम मशीन का हुड खोलकर मूल मशीन के कार्ड रीडर को स्क्रू के जरिये निकाल लेते थे और उसकी जगह पर अपने एटीएम कार्ड रीडर को लगा देते थे। जब कोई ग्राहक रुपये निकालने के लिए पहुंचता था तो उस मशीन से रुपये नहीं निकलते थे लेकिन आरोपियों द्वारा लगाये गये कार्ड रीडर में कार्ड की पूरी जानकारी एकत्र हो जाती थी। इसके बाद जब ग्राहक बूथ की दूसरी मशीन से रुपये निकालने के लिए कार्ड डालता था तो वे उसका पिन नंबर देखकर नोट कर लिया करते थे। कार्ड की पूरी जानकारी रीडर में आने के बाद उसे वे निकाल लेते थे और एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार कर लेते थे।

वे मिनी स्कीनिंग डिवाइस का भी एटीएम कार्ड की जानकारी हासिल करने के लिए इस्तेमाल करते थे। वे किसी कम जानकार ग्राहक को मदद करने के बहाने उसका एटीएम कार्ड हासिल कर लेते थे और अपने पास रखे मिनी स्कीनिंग डिवाइस से ग्राहक की जानकारी के बिना एटीएम की जानकारी रिकॉर्ड कर लेते थे।

कार्ड की जानकारी हासिल करने के बाद वे अपने पास रखे लैप टॉप, एमएसआर और साफ्टवेयर के माध्यम से डुप्लीकेट एटीएम कार्ड तैयार कर लेते थे और उसके पीछे पिन नंबर लिख लेते थे। वे किसी भी एटीएम बूथ में जाते थे और बैलेंस चेक करते थे और क्लोन एटीएम का इस्तेमाल कर रुपये निकाल लिया करते थे।

आरोपियों ने बताया कि ये लोग रायपुर के औद्योगिक क्षेत्र उरला के एक एटीएम बूथ से नौ कार्ड के डिटेल हासिल कर उनके क्लोन निकाले थे। भनपुरी के एटीएम बूथ से उन्होंने कार्ड के नौ क्लोन तैयार किये। इनमें लगभग दो करोड़ रुपये जमा थे। एक खाते में सर्वाधिक एक करोड़ 77 लाक रुपये जमा थे, जिसका आहरण वे दूसरे प्रदेशों के एटीएम में बारी-बारी रुपये निकालकर किया करते थे। आरोपी इतने शातिर और अभ्यस्त थे कि वे चलती कार में भी एटीएम क्लोन तैयार कर लेते थे।

आरोपियों ने बताया कि उन्होंने प्रार्थी पासवान के कार्ड का क्लोन तैयार कर उसी दिन सीएमडी कॉलेज चौक वाले एटीएम से रुपये निकाले तथा शो रूम से ब्रांडेड घड़ियां तथा जूते खरीदे।

पकड़े गये आरोपियों ने बताया कि गूगल मैप के जरिये एटीएम बूथ का पता लगाते थे। गार्ड होने की दशा में दूसरे बूथ में चले जाते थे। इनमें से एक आरोपी श्रीकांत सिंह सन् 2011 में अपने अन्य साथियों के साथ एटीएम कार्ड धोखे से बदलकर राशि निकालने के जुर्म में पटना, बिहार मं गिरफ्तार हो चुका है।

पुलिस अब आरोपियों के पास से मिले 60 से अधिक क्लोन्ड एटीएम कार्ड के बारे में सम्बन्धित बैंकों से सम्पर्क कर रही है ताकि कार्ड धारकों से उनके खाते से पार हुई रकम के बारे में जानकरी हासिल की जा सकी। आरोपियों से पुलिस ने इस्तेमाल में लाई जा रही कार, लैपटॉप, कार्ड रीडर, एमएसआर डिवाइस, मिनी स्कीमर डिवाइस आदि भी बरामद किये हैं। इनमें से कई उपकरण उन्होंने ऑनलाइन शॉपिंग के जरिये मंगाई है।

इस गिरोह का पर्दाफाश करने में सिविल लाइन थाना प्रभारी कलीम खान, साइबर सेल प्रभारी प्रभाकर तिवारी, उप निरीक्षक शंकर गोस्वामी, दीपक उपाध्याय, गोविन्द शर्मा, राहुल सिंह, सहायक उप निरीक्षक अवधेश सिंह, मनोज बघेल, विकास राम, मुकेश वर्मा व राजेश बंजारे की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

 

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