बिलासपुर। दो बार तखतपुर के विधायक और दो बार बिलासपुर के महापौर रह चुके बलराम सिंह ठाकुर आज 81 वर्ष की आयु पूरी कर पंचतत्व में विलीन हो गये। इस तरह से शहर व जिले में उनका एक बड़ा राजनीतिक योगदान था, किन्तु जिस तरह से वे रतनपुर स्थित महामाया मंदिर के उन्नयन के मृत्यु पर्यन्त समर्पित रहे वह अनूठा ही था।

ठाकुर बलराम सिंह तखतपुर से दो बार विधायक रहे। सन् 1995 में तत्कालीन तखतपुर विधायक मनहरण लाल पांडेय के सांसद चुन लिये जाने  के बाद 1996 में वे पहली बार तखतपुर के विधायक बने। इसके बाद 1998 के उप-चुनाव में उन्हें जगजीत सिंह मक्कड़ से मामूली मतों से हार मिली, सन् 2003 में वे फिर से तखतपुर विधायक चुने गये। ठाकुर बलराम सिंह का अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, विद्याचरण शुक्ल, बीआर यादव जैसे सभी कांग्रेस नेताओं से अच्छे सम्बन्ध रहे।  वे दो बार बिलासपुर के महापौर सन् 1985 और 1987 में रहे। उस समय महापौर का कार्यकाल एक वर्ष का होता था और चयन निर्वाचित पार्षदों द्वारा किया जाता था। उनकी बड़ी बहू रश्मि सिंह इस समय तखतपुर की विधायक हैं। ठाकुर बलराम सिंह के चार पुत्र आशीष सिंह, आलोक सिंह, अखिल सिंह व आदित्य सिंह हैं। बड़े पुत्र आशीष सिंह राजनीति में सक्रिय हैं।  इस समय प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव हैं।

बलराम सिंह ठाकुर एसबीआर कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने जाने के बाद लगातार शहर की राजनीति में सक्रिय रहे। बाद में कुछ दिनों तक इसी कॉलेज में पढ़ाया भी। वे नगर कांग्रेस अध्यक्ष रहने के बाद  अज्ञेयनगर से पार्षद रहे और बाद में महापौर बनाये गये।

बिलासपुर में उनके योगदान को याद करते हुए जिला युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राकेश शर्मा का कहना है कि ठाकुर को हम- निर्बल के बलराम कहा करते हैं। वे जब भी घर में हों, सबसे पहले कमरे में सबसे सामने बैठकर लोगों से मिलते थे। सड़क से गुजरने वाला कोई भी व्यक्ति रुककर उनसे मिल सकता था। वे तखतपुर के विधायक या बिलासपुर के महापौर के रूप में नहीं बल्कि सबका प्रतिनिधि अपने आपको मानते थे। आम लोगों की तकलीफों को वे अपना समझकर सुनते थे और इसके लिए प्रशासन से लड़ भी लेते थे। शर्मा के अनुसार बलराम सिंह ठाकुर ने अपने सभी बच्चों को अच्छे संस्कार दिये, उनमें आप कोई भी व्यसन नहीं पायेंगे। उन्होंने अपने पूरे परिवार को एक सूत्र में पिरोकर रखा। शर्मा उनके ठेठ छत्तीसगढ़ी रहन-सहन और वार्तालाप को याद करते हुए कहते हैं कि वे अपनों को गालियां भी देते थे तो उसमें एक अपनापन महसूस होता था और लोग इसका बुरा नहीं मानते थे।

महामाया मंदिर को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई

रतनपुर स्थित महामाया मंदिर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने में बलराम सिंह ठाकुर का बड़ा योगदान रहा है। महामाया मंदिर के उन्नयन से जुड़ी बातें बताते हुए मैनेजिंग ट्रस्ट्री सुनील सोंथलिया ने कहा कि 80 के दशक में शंकराचार्य ने यहां का प्रवास किया और कहा कि रतनपुर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है, पर उनकी दशा जर्जर है। इसकी गरिमा स्थापित करने के लिए लोगों को सामने आना चाहिए। ठाकुर बलराम सिंह ने इसका बीड़ा उठाया और 5 मार्च 1982 को महामाया सेवा समिति ने आकार लिया, जिसमें 10-12 सदस्य शामिल थे। शक्तिपीठ है, इसलिये यहां जीवंत ज्योतिकलश प्रज्ज्वलित होनी चाहिए, इस भावना से पहले वर्ष खुद ठाकुर ने पांच ज्योतिकलश अपनी ओर स्थापित किये। ज्योति कलश स्थापित करने का उद्देश्य यह था कि मंदिर में लोगों का आना-जाना बढ़े और मंदिर की जर्जर अवस्था को ठीक किया जा सके। इसके बाद सन् 1986 में इस समिति को एक ट्रस्ट का रूप दे दिया गया। अब करीब 35 वर्ष बाद इस मंदिर में देश के सर्वाधिक ज्योतिकलश (31 हजार) प्रज्ज्वलित किये जाते हैं।  रतनपुर के मंदिरों, तालाबों का जीर्णोद्धार, वहां अनेक स्कूल एवं अस्पताल की गतिविधियां, निर्धन सामूहिक विवाह, उपनयन संस्कार आदि के कार्य हो रहे हैं। रतनपुर अब देश के पर्यटन नक्शे में शामिल है और ज्योति कलश जलाने के लिए भी देश-विदेश से लोग आते हैं।

तीन साल पहले ट्रस्ट ने ठाकुर के योगदान और उनकी उम्र को देखते हुए निर्णय लिया कि अब ट्रस्ट में अध्यक्ष का चुनाव नहीं होगा। अपने जीवनकाल तक बलराम सिंह ठाकुर ही अध्यक्ष रहेंगे। सोन्थलिया ने बताया कि जब उन्हें मैनेजिंग ट्रस्ट्री की जिम्मेदारी सौंपी गई तो उन्होंने यह कहकर जिम्मेदारी दी कि मंदिर में न सिर्फ नियमित आना है, बल्कि इसकी देख-रेख भी पहले की ही तरह होनी है। वे प्रयास करते हैं कि हर रविवार उन्हीं की तरह मंदिर परिसर में बिताएं।

कांग्रेस भवन बलराम सिंह ठाकुर की देन

प्रदेष कांग्रेस के प्रवक्ता अभय नारायण राय ने कहा कि बलराम सिंह का व्यक्तित्व अलग था। लोगों से घुल-मिल जाना, अधिकारियों से डांट डपट कर काम करा लेना एवं सहयोगियों के साथ मित्रवत रहना, सम्मानजनक व्यवहार करना उनका स्वभाव था। वे कांग्रेस पार्टी को मजबूत बनाने हेतु जीवन पर्यन्त जुटे रहे। शहर अध्यक्ष के रूप में उन्होंने तिलक नगर में शहर का कांग्रेस भवन प्रदान किया।

मुक्तिधाम में जुटे सैकड़ों लोगों ने दी अंतिम विदाई

81 वर्षीय बलराम सिंह ठाकुर की तबियत पिछले कुछ माह से खराब चल रही थी। उनको बीते एक अप्रैल को मेदांता गुड़गांव से लाकर अपोलो हास्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन का समाचार मिलने पर शहर भर से लोग उनके निवास तिलकनगर पहुंचे। शाम चार बजे उनकी अंतिम यात्रा सरकंडा स्थित मुक्तिधाम के लिए निकली, जहां अंत्येष्टि में बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिक कांग्रेसजन शामिल हुए। इनमें रतनपुर, तखतपुर के लोग भी थे। यहां आयोजित शोक सभा में उनके योगदान को याद किया गया।

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