रायपुर। सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं कवि त्रिलोक महावर को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए विदिशा मध्यप्रदेश में साकिबा द्वारा वर्ष 2021 का घनश्याम मुरारी श्रीवास्तव पुष्प सम्मान प्रदान किया गया। साहित्यिक संस्था साकीबा के अध्यक्ष बृज श्रीवास्तव ने संस्था की उपलब्धियों का उल्लेख किया तथा महावर की साहित्यिक उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि महावर को पुरस्कृत करते हुए इस संस्था को काफी गर्व हो रहा है। उन्होंने महावर के विदिशा में अपर कलेक्टर रहने के दौरान उनके साहित्यिक सामाजिक एवं पर्यावरण संबंधी योगदान की प्रशंसा की तथा बेतवा उत्थान में उनके योगदान की सराहना भी की।

उल्लेखनीय है कि महावर के अब तक विस्मित ना होना, इतना ही नमक , नदी के लिए सोचो , हिज्जे सुधारता है चांद तथा शब्दों से परे शीर्षक से  5 कविता संग्रह आ चुके हैं। हाल में ही उनकी कविताओं पर केंद्रित विमर्श की किताब कविता का नया रूपाकार प्रकाशित हुई है जो काफी चर्चित रही। महावर बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। कहानी, लघुकथा बाल साहित्य, जनजातीय विषयों और लोक बोलियां पर उन्होंने काफी काम किया है। लगभग चार दशक तक आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में भी उन्होंने विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए। देशभर के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं प्रकाशित हुई है। वे रोटरेक्ट क्लब के संस्थापक, अध्यक्ष तरुण साहित्य समिति के सचिव तथा नव आयाम साहित्यिक सांस्कृतिक मंच के सचिव और बस्तर प्रकृति बचाओ समिति बेस्कॉन के संस्थापक सदस्य व कोषाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

उन्हें बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स तथा थान खमरिया हिंदी साहित्य समिति द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। पं मदन मोहन मालवीय स्मृति पुरस्कार, नई दिल्ली, अंबिका प्रसाद दिव्य पुरस्कार एवं पंजाब कला साहित्य अकादमी आदि राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी वे सम्मानित हो चुके हैं।

महावर बस्तर अंचल के जगदलपुर नगर के निवासी हैं। यहां उन्होंने कुछ समय कॉलेज में अध्यापन भी किया। वे सरगुजा विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके हैं। उन्होंने ड्यूक यूनिवर्सिटी अमेरिका तथा साइंस यूनिवर्सिटी फ्रांस में प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। महावर धमतरी, जांजगीर चांपा एवं मुंगेली जिले में कलेक्टर तथा सरगुजा बिलासपुर एवं दुर्ग संभाग में कमिश्नर के रूप में कार्य कर चुके हैं। वर्तमान में प्रशासन अकादमी निमोरा में संचालक के पद पर पदस्थ हैं।

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