बिलासपुर। उच्चस्तरीय जाति छानबीन समिति के सामने उपस्थित होने से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को आज हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। इस मामले की सुनवाई अब नियमित बेंच में 17 जून को होगी।

जोगी की याचिका पर बुधवार को अवकाशकालीन न्यायमूर्ति शरद कुमार गुप्ता की बेंच में हुई। इसके पहले दो मई को गौतम भादुड़ी की कोर्ट ने उन्हें उपस्थिति से रियायत देने से मना कर दिया था और समिति के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। इसके बाद छानबीन समिति के समक्ष 10 मई को जोगी को उपस्थित होना था। तब स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला देते हुए जोगी ने जवाब देने के लिए समय मांगा था। इसके बाद अब 31 मई को समिति ने नई तिथि निर्धारित की है। इसे लेकर जोगी की ओर से एक याचिका लगाई गई थी जिसमें उन्होंने समिति के समक्ष उपस्थित होने से राहत मांगी। जोगी की जाति की वैधता को लेकर याचिका दायर करने वाले संतकुमार नेताम की ओर से अधिवक्ता संदीप दुबे ने इसका विरोध किया और कहा कि जिस मामले में डीबी की ओर से निर्देश जारी किया जा चुका है, उसी पर सिंगल बेंच में सुनवाई नहीं हो सकती। इस पर कोर्ट ने मामले को 17 जून को नियमित कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है। कोर्ट ने 31 मई को जोगी के समिति के समक्ष उपस्थित से राहत मांगे जाने पर कोई निर्णय नहीं दिया है। इस तरह से समिति के समक्ष 31 मई को जोगी को जवाब देने को लेकर कोई राहत नहीं मिली है।

मालूम हो कि संतकुमार नेताम ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति को लेकर याचिका दायर कर रखी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा था कि वह मामले की सुनवाई कर फैसला दे।  इस परिप्रेक्ष्य में पूर्व में आईएएस रीना कंगाले की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय छानबीन समिति का गठन किया गया था, जिसके आधार पर सन् 2017 में तत्कालीन कलेक्टर ने जोगी का आदिवासी जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ जोगी हाईकोर्ट गये थे और उन्होंने समिति की वैधता को राजपत्र में प्रकाशन नहीं होने, समिति के कई सदस्यों की भूमिका को अध्यक्ष द्वारा निर्वहन किये जाने के आधार पर चुनौती दी। इसके बाद हाईकोर्ट ने रीना कंगाले कमेटी द्वारा 17 मार्च 2017 के बाद की गई समस्त कार्रवाई को निरस्त कर दिया था और राज्य सरकार को नई उच्चस्तरीय छानबीन समिति बनाने का निर्देश दिया था। इसके बाद आदिवासी विकास विभाग के सचिव डीडी सिंह की अध्यक्षता में समिति बनाई गई। इसी समिति के समक्ष जोगी को उपस्थित होना है। जोगी को समिति ने 23 मार्च और उसके बाद नोटिस जारी किये हैं। जोगी का कहना है कि यह नोटिस 29 नवंबर 2014  को डीबी के समक्ष प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन के विपरीत है, जिसमें उन्हें राहत दी गई है। कोर्ट ने तब कहा था कि अपना यह पक्ष वे समिति के समक्ष उपस्थित होकर रखें।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here