सिपाही पर एफआईआर की मांग, पुलिस अलग से जांच कर रही

बिलासपुर। पुलिस की कथित प्रताड़ना से आत्महत्या करने वाले हरीश चंद्र गेंदले के शव को आज दो दिन बाद परिवार लेकर गया। रिश्वत मांगने वाले सिपाही के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए उन्होंने शव को लेने से मना कर दिया था। इधर पुलिस ने जानकारी दी है कि जिला प्रशासन भी इस घटना की दंडाधिकारी जांच का आदेश निकाल रहा है।

उल्लेखनीय है कि बीते 28 नवंबर को भैसबोड़ के युवक हरीश चंद्र गेंदले ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली थी। उसकी बाइक से कुछ छात्राओं की साइकिल क्षतिग्रस्त हो गई थी। घटना की शिकायत बिल्हा थाने में की गई तो सिपाही रूपलाल चंद्रा ने उसके पिता भागीरथी को घर से लाकर थाने में घंटों बिठा लिया और आरोप है कि उससे मारपीट की गई। इस बीच पुलिस में की गई शिकायत छात्राओं ने वापस ले ली थी, क्योंकि भागीरथी ने माफी मांग ली थी और साइकिल बनवाने का आश्वासन दिया था। हरीश चंद्र जब अपने पिता को छुड़ाने के लिए थाने गया था तो सिपाही चंद्रा ने उससे 20 हजार रुपये रिश्वत की मांग की। हरीश ने जब पैसे नहीं होने की बात कही तो सिपाही ने कह दिया कि या तो रुपये ला, या मर जा। इसके बाद छुब्ध युवक घर पहुंचा और मां को बताया कि पुलिस बूढ़े बीमार पिता को मार रही है, अब वह जान दे देगा। इसके बाद वह घर से निकल गया। रात 9 बजे उसकी लाश ट्रेन की पटरी पर टुकड़ों में मिली। घटना से आक्रोशित ग्रामीणों और समाज के लोगों ने अगले दिन पूरा थाना घेर लिया था। वे सिपाही पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज करने तथा थानेदार सहित स्टाफ को सस्पेंड कर पूरे मामले की जांच की मांग कर रहे थे। पुलिस अधिकारियों ने सिपाही रुपलाल चंद्रा को लाइन अटैच किया फिर बाद में मामला शांत करने के उद्देश्य से उसे निलंबित भी कर दिया। पर ग्रामीणों का रोष कम नहीं हुआ। देर रात तक उन्होंने थाने में प्रदर्शन किया। शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल लाया गया। यहां कल देर रात तक परिजनों को शव ले जाने के लिए पुलिस समझा रही थी लेकिन वे तैयार नहीं हुए। आज सुबह जिला प्रशासन के अधिकारियों ने पहुंचकर परिजनों को शीघ्र व जल्दी जांच कर दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आश्वासन दिया। साथ ही दंडाधिकारी जांच की घोषणा की। इसके बाद परिजन किसी तरह शव को ले जाने के लिए तैयार हुए। पुलिस इस मामले में एसडीओपी से अलग से  जांच करा रही है।

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