बिलासपुर। स्कूलों में कोरोना की गाइडलाइन का पालन करने का निर्देश जारी करने के बाद अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी पूरी मान ली है। स्कूलों में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बावजूद कोई सावधानी नहीं बरती जा रही है। पालकों और बच्चों के सामने यह गंभीर समस्या खड़ी हो गई है कि वे कक्षा नहीं जाये तो रिजल्ट खराब हो जायेगा और जायेंगे तो कोरोना की चपेट में आ सकते हैं। स्कूल खोलने व ऑफलाइन परीक्षा लेने के विरोध में छात्रों ने जमकर प्रदर्शन भी किया है।
दगौरी (बिल्हा) में सतर्कता।

लम्बे समय से बंद सरकारी और निजी स्कूलों को फरवरी माह से खोलने और ऑफलाइन परीक्षा लेने का निर्देश शिक्षा विभाग ने जारी किया । स्कूलों को खोलने से पूर्व कोरोना संक्रमण रोकने के लिये संचालनालय की ओर से सतर्कता बरतने के लिये विस्तृत निर्देश दिये गये। इसके अनुसार जिन स्कूलों को क्वारांटीन सेंटर बनाया गया उन्हें पूरी तरह सैनेटाइज किया जाये। बच्चों व शिक्षकों को सर्दी, खांसी और बुखार के लक्षण हों तो प्रवेश से रोका जाये। प्रवेश के पूर्व थर्मल स्क्रीनिंग की जाये। बैठक व्यवस्था सोशल डिस्टेंस के साथ की जाये और वे एक दूसरे के सम्पर्क में ना आयें, इसका ध्यान रखा जाये। जिन स्कूलों में कमरों की संख्या कम और दर्ज संख्या अधिक है वहां दो पालियों में कक्षायें लगाई जायें।

जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से यह निर्देश सभी मिडिल व हायर सेकेन्ड्री के प्राचार्यों को जारी किया गया था। पर देखा जा रहा है कि बहुत कम स्कूलों में इन नियमों का पालन हो रहा है। बिलासपुर से 25 किलोमीटर दूर दगौरी में जरूर शाला को सैनेटाइज किया गया था। प्राचार्य का कहना है कि यह स्कूल 6 माह पहले क्वारांटीन सेंटर था। एहतियात के तौर पर सभी कमरों को सैनेटाइज कराया गया है। एक बेंच पर एक ही बच्चे को बिठाया जा रहा है और प्रवेश से पहले थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है। दूसरी तरफ अधिकांश शालाओं में इसकी अवहलेना की जा रही है। तखतपुर के शासकीय बालक हाईस्कूल में एक ही बेंच पर बच्चों को पर्यावरण विषय की प्रायोगिक परीक्षा के दौरान पास-पास बिठाया गया । जिस कमरे में 15 बच्चे बैठने थे, एक साथ 50 लोगों को बिठाया गया। शाला के प्राचार्य का कहना है कि जगह की कमी के कारण ऐसा किया गया है, जबकि स्पष्ट निर्देश है कि सोशल डिस्टेंस बनाये रखने के लिये जरूरत पड़ने पर दो पालियों में कक्षायें लगाई जायें। अधिकांश बच्चों ने मास्क भी नहीं पहना था। इसी तखतपुर ब्लॉक के पाली इलाके में बीते 22 फरवरी को रेंडम जांच की गई थी, जिसमें हाईस्कूल की तीन छात्राओं को कोरोना संक्रमित पाया गया था। संक्रमण के बाद उस स्कूल को बंद कर दिया गया। पर ब्लॉक के दूसरे स्कूलों ने इससे सबक नहीं लिया और शिक्षकों ने बच्चों को उनकी मर्जी पर छोड़ दिया है।

तखतपुर के विकासखंड शिक्षा अधिकारी आर के अंचल का कहना है कि शिक्षा संचालनालय से आये निर्देशों के अनुरूप कोरोना से बचाव के लिये सभी ऐहतियात बरतना जरूरी है, जहां ऐसा नहीं किया जा रहा है उन स्कूलों में प्राचार्यों व शिक्षकों को हिदायत दी जायेगी। बालक हाईस्कूल के प्राचार्य पर कार्रवाई भी की जायेगी।

ऐसा नहीं है कि संक्रमण से बचाव के लिये स्कूलों के पास फंड की कमी है। स्कूल खुलते ही सभी स्कूलों को दो-दो हजार रुपये सैनेटाइज करने और सैनेटाइजर रखने के लिये दिये गये हैं। इसके अलावा हाईस्कूल में आकस्मिक मद के अंतर्गत लगभग 25 हजार रुपये होते हैं, जिसे वे खर्च कर सकते हैं।

ऑफलाइन परीक्षाओं का विरोध

संक्रमण के मामले बढ़ने के बावजूद स्कूलों को खोलने के शासन के आदेश के खिलाफ बिलासपुर में आंदोलन चल रहा है। सत्तारूढ़ कांग्रेस की ही छात्र इकाई एनएसयूआई ने शुक्रवार को कलेक्टोरेट के सामने दो घंटे धरना दिया। उनका कहना था कि कोरोना गाइडलाइन का स्कूलों में पालन नहीं हो रहा है जिससे संक्रमण बढ़ने का खतरा है। जिले के स्कूलों से कोरोना के मामले सामने आने लगे हैं। इसके अलावा वे ऑफलाइन कक्षाओं का विरोध भी कर रहे हैं। इनका कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई संतोषजनक नहीं रही है। अध्ययन सामग्री नहीं मिली, नेटवर्क की खराबी रही और कोर्स भी पूरा नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में माह भर की तैयारी के बाद ऑफलाइन परीक्षा देना मुश्किल है।

(तखतपुर से टेकचंद कारड़ा की इनपुट के साथ)

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