बिलासपुर। स्पेशल जज की अदालत में आवेदन निरस्त होने और अपने खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट के तहत आरोपों को स्पेशल जज द्वारा ही विचरित करने के खिलाफ दायर आईएएस अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला की क्रिमिनल रिविजन हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि हम गुण दोष के आधार पर इस प्रकरण में कोई भी टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।

ज्ञात हो कि नागरिक आपूर्ति निगम में करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच के दौरान एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने संयुक्त रूप से नान मुख्यालय समेत अधिकारियों- कर्मचारियों के आवास व दफ्तरों में छापा मारा था। मामले में इन दो आईएएस अधिकारियों समेत 18 अधिकारियों व कर्मचारियों पर अपराध दर्ज किया गया था। बाद में 15 के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई। इसमें से कई अधिकारी और कर्मचारी गिरफ्तार किए गए। कई आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। मामले को लेकर हाईकोर्ट में हमर संगवारी, सुदीप श्रीवास्तव, वीरेंद्र पाण्डेय ,धरमलाल कौशिक व मिड डे मिरर अखबार ने जनहित याचिकाएं पेश की थीं। इनमें मामले की सीबीआई व अन्य एजेंसियों से जांच की मांग की गई।

नान घोटाले को लेकर एसीबी ने नान के पूर्व एमडी और चेयरमैन अनिल टुटेजा व आलोक शुक्ला के खिलाफ जुर्म दर्ज किया था। इसके खिलाफ इन दोनों ने पहले रायपुर में स्पेशल जज लीना अग्रवाल की अदालत में दोषमुक्ति का आवेदन पेश किया। इसे 24 जून 2021 को अदालत ने खारिज कर दिया। इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं ने इसी अदालत में एसीबी द्वारा लगाये गए मुकदमे को खारिज करने का अनुरोध किया था। इसे भी स्पेशल जज ने 30 जून 2021 को निरस्त कर दिया। स्पेशल जज के दोनों आदेशों के खिलाफ दोनों याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिविजन लगाई थी। इस पर जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की बहस के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि  हम इस मामले में गुण दोष के आधार पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। स्पेशल जज ने जो निर्णय किया उसे अनुचित करार नहीं किया जा सकता। इसलिए यह क्रिमिनल रिवीजन खारिज की जाती है। शासन का पक्ष उप महाधिवक्ता सुदीप अग्रवाल ने रखा।

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