267 प्रमाण पत्र फर्जी, पर सेवा सिर्फ एक की समाप्त हो पाई

बिलासपुर। राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरी हथियाने और चुनाव जीतने वालों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाए और उनसे वसूली की कार्रवाई की जाये।
आयोग के अध्यक्ष की ओर से सचिव ने 27 सितंबर को सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव को लिखे गये पत्र में कहा गया कि आयोग की सदस्य अर्चना पोर्ते ने आयोग के ध्यान में लाया है कि राज्य में गैर अनुसूचित जनजाति के अनेक लोग शासकीय सेवा में कार्यरत हैं और अनेक लोग जनप्रतिनिधि के रूप में निर्वाचित भी हुए हैं। ऐसे अनेक व्यक्तियों का जाति प्रमाण पत्र उच्च स्तरीय छानबीन समिति द्वारा निरस्त किया जा चुका है समिति ने संबंधित विभागों को नियमानुसार कार्रवाई करने कहा है किंतु ऐसा नहीं किया जा रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 24 सितंबर 2013 को एक पत्र सभी विभागों को लिखा गया था जिसमें ऐसे प्रकरणों में कार्रवाई के लिये स्पष्ट निर्देश दिये गये है, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है। अतएव सामान्य प्रशासन विभाग सभी कलेक्टर्स को आवश्यक निर्देश देकर ऐसे मामलों में कार्रवाई का निर्देश दिया जाये।
कार्रवाई की जा रही है-पोर्ते
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में आयोग की सदस्य अर्चना पोर्ते ने बताया कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों में डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी रैंक तक के अधिकारी हैं। इसके अलावा कई जनप्रतिनिधि भी हैं। कई प्रमाण पत्र निरस्त किये जा चुके हैं और अनेक मामले हाईपावर कमेटी के पास लंबित हैं।
सिर्फ एक की सेवा समाप्त
उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति के  पास सन् 2000 से 2020 तक 758 मामले जांच के लिये आये, जिनमें से 659 का निराकरण किया गया है। इनमें 267 प्रमाण पत्र फर्जी पाये गये हैं, पर अब तक केवल एक कर्मचारी की सेवा समाप्त की गई है। कई मामले विभागीय स्तर पर तो कुछ हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं।

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