बिलासपुर। महापौर व नगर निकायों के अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने की अधिसूचना को आज हाईकोर्ट में लोरमी के विधायक धर्मजीत सिंह ने भी चुनौती दी है। इसके पहले भी इस मुद्दे पर कुछ अन्य याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनपर एक साथ सोमवार को सुनवाई होगी।

विधायक धर्मजीत सिंह द्वारा अधिवक्ता रोहित शर्मा के माध्यम से याचिका दायर की है। इसके पहले कोरबा के भाजपा जिला अध्यक्ष अशोक चावलानी व कार्यकर्ता रूपेश कुमार तथा अधिवक्ता आशुतोष पांडेय व ए.व्ही. श्रीधर के माध्यम से याचिका दायर की थी। बीरगांव (रायपुर) के एवेज देवांगन ने अधिवक्ता प्रतीक शर्मा और बिलासपुर के रौशन सिंह ने अधिवक्ता रोहित शर्मा की ओर से याचिका दाखिल की है।

विधायक धर्मजीत सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि अधिसूचना जारी होने के बाद वर्तमान महापौर की वैधानिक स्थिति भी अस्पष्ट हो गई है। याचिकाओं में कहा गया है कि पूर्व में महापौर के चुनाव का अधिकार मतदाताओं के पास था वे निर्वाचन याचिकाओं के माध्यम से उनके चुनाव को चुनौती दे सकते थे किन्तु अब धारा 441 में संशोधन के बाद उनका यह अधिकार छिन गया है और सिर्फ पार्षद ही इस अधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। प्रत्येक मतदाता को महापौर पद पर चुनाव लड़ने का अधिकार था लेकिन यह अब सिर्फ पार्षदों पर सिमट गया है। शहर के प्रथम नागरिक के चुनाव में यह मतदाताओं के अधिकार का उल्लंघन है। धारा 422 ब में महापौर को निगम की परिभाषा से बाहर कर दिया गया है जबकि धारा 9 में महापौर को नगर निगम की संरचना का अभिन्न अंग माना गया है, यह विरोधाभासी है। नगरपालिका का कार्यकाल स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा आरक्षण में विरोधाभास, पार्षदों में गुटबाजी तथा भ्रष्टाचार बढ़ने जैसे मुद्दों को रखा गया है।

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