स्वयंसेवकों ने किया आसन, योग, दंडचालन का आकर्षक प्रदर्शन

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विजयादशमी उत्सव में मुख्य वक्ता अखिल भारतीय सह कुटुम्ब प्रबोधन प्रमुख रविन्द्र जोशी ने कहा कि किसी भी देश के समाज का विकास करने के लिए ज्ञान, प्रयास और शक्ति की कृपा होनी चाहिए। यह किसी भी व्यक्ति में हो तो देश का ध्येय प्राप्त किया जा सकता है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बिलासपुर नगर द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी विजयादशमी उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम का आयोजन 14 अक्टूबर रविवार को शाम 5 बजे से पुलिस मैदान बिलासपुर में किया गया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने आसन, व्यायाम, योग, दंड चालन, गण समता का प्रदर्शन किया गया। घोष दल ने विभिन्न गीतों पर धुन निकालकर लोगों को मंत्रमुग्ध किया। सरस्वती शिशु मंदिर कोनी विद्यालय के छात्रों ने मानव पिरामिड बनाकर राष्ट्रभक्ति का संदेश दिया। ‘एक बार करवट तो बदले…’  गीत का गान स्वयंसेवकों ने किया।

मुख्य वक्ता जोशी ने बताया कि 1925 में नागपुर में डॉ हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी। हेडगेवार के मन में एक प्रश्न था कि इतना प्राचीन देश होने के बाद भी देश गुलाम क्यों रहता हैं। इसके लिए उन्होंने कभी विदेशियों को दोषी नहीं माना। उनका कहना था कि देश के लोग एक नहीं है इसलिए हम गुलाम होते जा रहे हैं। देश को एक करने के लिए ही उन्होंने संघ की स्थापना की। 93 साल संघ की स्थापना के बाद अब यह 7 हजार शाखाओं में विस्तारित है। 41 देशों में संघ का कार्य चल रहा है।

उन्होंने कहा कि विजयादशी त्यौहार में दुर्गा संदेश देती है कि आसुरी शक्ति पर विजय पाना है। सिद्धांत सहित राष्ट्रनिर्माण करना है। धर्म और संस्कृति को देश के साधू संतों ने सरल शब्दों में बताया है। उनकी सीख को जीवन में उतारने की आवश्यकता हैं। संघ की मान्यता है कि ये गुण स्वयंसेवकों के साथ ही सभी व्यक्ति में आए, तभी देश सर्वोच्च शिखर को प्राप्त कर सकता है। संघ चाहता है कि सभी लोग खड़े हो ताकि देश के वैभव को प्राप्त किया जा सके। संघ के स्वयंसेवक देश के किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय सेवा कार्य करते हैं। देश के किसी भी आपदा से निपटने के लिए संघ के स्वयंसेवक परिश्रम करते हैं। महाराष्ट्र का एक उदाहरण दिया कि लातूर के एक स्वयंसेवक ने 100 स्वच्छता ताई का संगठन बना कर पूरे लातूर को स्वच्छ बना दिया। समाज के सभी लोगों को साथ रहने की प्रेरणा संघ की शाखा से मिलती है। सभी को अपने घर से शुरुआत करनी होगी तभी राष्ट्र को आंतरिक संकटों के साथ बाहरी संकटों से बचा सकते है। संघ ने अपने 93 वर्षो में देश के समाज के लोगों को संगठित करने का कार्य किया है। हिंदुओं को संगठित करने का कार्य किया है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसएल स्वामी ने संघ के बारे में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति में जो अनुशासन, सम्मान है वो विश्व के किसी और संस्कृति में नहीं हैं। उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक अमीर दुबई में वहां के सुल्तान के पास जा रहे थे तो एक कर्मचारी ने उनको बताया कि आप हमेशा जो टीका लगाकर के जाते हैं उसको मिटाकर जाएं। लेकिन वह टीका लगाकर ही गए। जब सुल्तान को पता चला कि यह हमारे देश की संस्कृति है तो वे प्रभावित हुए। एक और देश में एक आदमी ने जाना कि हम लोग भारत से हैं तो उसने रुक कर प्रणाम किया। यह सम्मान देश की प्राचीन संस्कृति के कारण ही मिला।

इस अवसर पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक, ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर बंश गोपाल सिंह, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अंजिला गुप्ता, संजीवनी हॉस्पिटल के डॉ विनोद तिवारी, छत्तीसगढ़ प्रान्त के सह कार्यवाह नारायण नामदेव, विभाग संघ चालक काशीनाथ, विश्व संवाद केंद्र के प्रफ़ुल्ल शर्मा सहित नगर के अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन नगर कार्यवाह विश्वास जलताड़े ने किया। नगर संचालक रणवीर सिंह ने आभार प्रदर्शन किया।

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