“हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण, भाषा विश्लेषण, भाषा के तुलनात्मक अध्ययन को संगठित और परिपक्व करने का कार्य होगा”

बिलासपुर। डॉ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के केंद्रीय हिंदी संस्थान उच्चतर शैक्षिक और शोध संस्थान शिक्षण मंडल के सदस्य बनाए गए हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री इसके पदेन अध्यक्ष हैं। संविधान के दिशा-निर्देशों के अनुसार हिंदी को समर्थ और सक्रिय बनाने के लिए अनेक शैक्षिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक अनुसंधानों के द्वारा हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिंदी भाषा विश्लेषण, भाषा का तुलनात्मक अध्ययन तथा शिक्षण सामग्री आदि के निर्माण को संगठित और परिपक्व रूप देने के लिए सन् 1961 में भारत सरकार के तत्कालीन शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय ने केंद्रीय हिंदी संस्थान की स्थापना उत्तर प्रदेश के आगरा में की थी।

चौबे ने बताया कि हिंदी संस्थान का प्रमुख कार्य हिंदी भाषा से संबंधित शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करना, शोध कार्य कराना और साथ ही हिंदी के प्रचार व प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाना है। प्रारंभ में हिंदी संस्थान का प्रमुख कार्य अहिंदी भाषी क्षेत्रों के लिए योग्य, सक्षम और प्रभावकारी हिंदी अध्यापकों को ट्रेनिंग कॉलेज और स्कूली स्तरों पर शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित करना था, किंतु बाद में हिंदी के शैक्षिक प्रचार-प्रसार और विकास को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने अपने दृष्टिकोण और कार्य क्षेत्र को विस्तार दिया। इसके अंतर्गत हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिंदी भाषा-परक शोध, भाषा विज्ञान तथा तुलनात्मक साहित्य आदि विषयों से संबंधित मूलभूत वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रमों को संचालित किया गया। साथ ही विविध स्तरों के शैक्षिक पाठ्यक्रम, शैक्षिक सामग्री, अध्यापक निर्देशिकाएँ आदि तैयार करने का कार्य भी प्रारंभ किया गया। इस प्रकार के विस्तृत दृष्टिकोण और कार्यक्रमों के आयोजन से हिंदी संस्थान का कार्यक्षेत्र अत्यधिक विस्तृत और विशाल हो चुका है। इन कार्यक्रमों के कारण हिंदी संस्थान ने केवल भारत में ही नहीं वरन् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति और मान्यता प्राप्त की। भारत सरकार द्वारा केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल को अखिल भारतीय हिंदी प्रशिक्षण महाविद्यालय को संचालित करने का पूर्ण दायित्व सौंपा गया।

चौबे ने बताया कि केंद्रीय हिंदी संस्थान का मुख्यालय आगरा में है। इसके अतिरिक्त इसके 8 केंद्र भी हैं। हिन्दी षिक्षण मंडल हिंदी भाषा के शिक्षकों को प्रशिक्षित करना, हिंदीतर प्रदेशों के हिंदी अध्ययन कर्ताओं की समस्याओं को दूर करना, हिंदी शिक्षण में अनुसंधान के लिए अधिक सुविधाएं उपलब्ध करवाना, उच्चतर हिंदी भाषा, साहित्य और अन्य भारतीय भाषाओं के साथ हिंदी का तुलनात्मक भाषा शास्त्रीय अध्ययन और सुविधाओं को उपलब्ध कराना है। इसके साथ साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 के दिशा-निर्देशों के अनुसार हिंदी भाषा के अखिल भारतीय स्वरूप का विकास कराना और दिशा-निर्देशों के अनुसार हिंदी को अखिल भारतीय भाषा के रूप में विकसित करने के लिए कार्य करना है।

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