विधानसभा में आधे घंटे तक रखी बात, कहा- अफसरों पर दर्ज हो मुकदमा, जेपीसी से जांच कराएं

बिलासपुर। पिछले 11 साल से चलने वाली इस परियोजना को लेकर पांडेय ने तत्कालीन सरकार, मंत्री और अफसरों पर जमकर गुस्सा निकाला। साथ ही पूरी परियोजना में आर्थिक भ्रष्टाचार, आपराधिक कार्य, जनता के पैसों का दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए जेपीसी  जांच की मांग की, साथ ही योजना के विफलता पर दोषियों के खिलाफ एफआईआर करने की मांग की है । सदन में विधायक शैलेश पांडेय को नियम 52 के तहत अधीन आधे घंटे बोलने के लिए विशेष समय दिया गया ।

विधायक शैलेश पांडेय ने कुछ दिनों पहले अपने विधानसभा क्षेत्र बिलासपुर में हुए सीवरेज परियोजना को लेकर मंत्री से सवाल पूछे थे, लेकिन सदन में समय की कमी के चलते बहस नहीं हो पाई थी। आज विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने विधायक शैलेश पांडेय को विशेष समय देते हुए पूरे मामले को रखने के लिए आधे घंटे का समय दिया।

इस दौरान पांडेय ने कहा जब से बिलासपुर में सीवरेज परियोजना शुरू हुई है, तब से शहर के रहवासियों को सिर्फ तकलीफों का सामना करना पड़ा है। साल दर  साल 2008 से शुरू हुई सीवरेज परियोजना का बजट बढ़ता गया, लेकिन इस परियोजना का लाभ अब तक जनता को नहीं मिल सका ।

शैलेश ने सवाल करते हुए कहा कि 295 करोड़ की परियोजना 433 करोड़ की बन चुकी है । 113 करोड़ रुपये की राशि अतिरिक्त राशि दी गई, फिर भी अब तक काम पूरा नहीं हुआ । पूरी परियोजना में सिर्फ लापरवाही हुई और कहीं न कहीं सरकार के तरफ से ढीला रवैय्या देखा गया । इस परियोजना में मिटटी से फिलिंग कर दी गई। इससे पूरी शहर की सड़क धंसती रही। इस पर तत्कालीन विभागीय मंत्री ने गलती भी मानी ।

शैलेश ने सवाल करते हुए कहा की  दो साल में पूरी होने वाली परियोजना 11 साल में पूरी नहीं हो सकी है। सात बार सीवरेज के पूर्ण होने के समय में वृद्धि की गई है। डेढ़ साल से सीवरेज का काम बिना अनुमति के चलता रहा। जब शासन के तरफ से परियोजना के लेटलतीफी को देखते हुए अनुमति देना बंद कर दिया गया तो एमआईसी से नियम विरुद्ध अनुमति लेकर काम कराया जाता रहा ।

शैलेश ने बताया कि 275 किलोमीटर में से 153 किलोमीटर एरिया में सिर्फ 6 इंच की पाइप डाली गई, जो अभी कई जगहों से टूट फूट गया हैं। ऐसी पाइप घर के सीवर पाइप के लिए लगाया जाता है, इस पर विभागीय मंत्री ने कहा सम्बंधित से गलती हुई है, मामले की जाँच कराई जाएगी ।

पांडेय ने कहा कि पाइप लाइन बिछाने के बाद अभी तक कोई परीक्षण नहीं किया गया। हाइड्रोलिक टेस्टिंग नहीं की जा रही है । बिना परीक्षण के ही सीवरेज पम्पिंग स्टेशन और ट्रीटमेंट प्लांट बनवा दिया गया, जिससे हर साल जनता के चार करोड़ रुपये मेंटेनेंस के नाम से फूंके जा रहे हैं । इस पर विभागीय मंत्री ने अफसरों की गलती मानते हुए जांच का आश्वाशन दिया है ।

शैलेश पांडेय ने कहा कि अभी तक सीवरेज परियोजना से कई लोगों की जान गई है। पूरी परियोजना में आर्थिक और आपराधिक भ्र्ष्टाचार किया गया। जनता के पैसों का दुरुपयोग किया गया, समय की बर्बादी हुई । इसे देखते हुए पूरी मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से उच्च स्तरीय जाँच की जाए । इसके साथ ही योजना के विफलता के लिए  पूर्व मंत्री (अमर अग्रवाल) और सम्बंधित अफसरों के खिलाफ एफआईआर की मांग की है । इसके साथ ही पुरे मामले की गंभीरता को देखते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कल बैठक बुलाई है, बैठक में योजना से सम्बंधित अफसर, जनप्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे ।

 

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