बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएस उदय किरण व दो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के हाईकोर्ट के आदेश पर दिये गये अपने स्थगन को हटा दिया है। हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए शीर्ष अदालत ने तत्कालीन विधायक विमल चोपड़ा के साथ हुई मारपीट के मामले की सीआईडी से जांच कराने का निर्देश भी दिया है।

मालूम हो कि 19 जून 2018 को महासमुंद में एक बैडमिंटन प्रतियोगिता के दौरान एक अंतर्राष्ट्रीय गोल्ड मेडललिस्ट महिला खिलाड़ी के साथ महासमुंद के स्टेडियम में छेड़खानी हुई थी। खिलाड़ी की शिकायत पर रिपोर्ट नहीं लिखी गई बल्कि उसके साथ थाने में मौजूद स्टाफ ने दुर्व्यवहार किया। इसके विरोध में तत्कालीन विधायक विमल चोपड़ा ने अपने समर्थकों के साथ थाने का घेराव कर दिया। वहां पहुंचे आईपीएस उदय किरण के आदेश पर पुलिस कर्मियों ने चोपड़ा तथा उनके समर्थकों को लाठियों से पीट-पीटकर घायल कर दिया था। घायल विधायक अस्पताल में भर्ती कराये गये थे। इधर थाने में सब-इंस्पेक्टर समीर डुंगडुंग की शिकायत के आधार पर चोपड़ा व उनके समर्थकों के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया गया। दूसरी ओर खिलाड़ी की शिकायत पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। चोपड़ा तथा उनके समर्थकों ने न केवल खिलाड़ी के साथ छेड़खानी की रिपोर्ट लिखने की मांग की बल्कि थाने में लाठियों से पीटने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी अपराध दर्ज करने की मांग की। उच्चाधिकारियों ने उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की।

इसके बाद पूरे घटनाक्रम का विवरण देते हुए महिला खिलाड़ी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी की बेंच ने आईपीएस उदय किरण, सब इंस्पेक्टर समीर डुंगडुंग और छत्रपाल सिन्हा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ पुलिस अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। स्टे के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसके बाद स्टे हटाने का आदेश दिया है और एफआईआर दर्ज करके मामले की सीआईडी से जांच कराने कहा गया है।

महासमुंद में पत्रकारों को उक्त जानकारी देते हुए पूर्व विधायक चोपड़ा ने बताया कि देर से ही सही मामले में न्याय मिल रहा है। इसके अलावा न्यायालय की अवमानना को लेकर टीआई दीपा केवट के खिलाफ भी मामला दर्ज करने की अपील की जायेगी।

आईपीएस उदय किरण से जुड़े विवाद

आईपीएस उदय किरण के रवैये के खिलाफ इसके पहले भी नागरिकों का आक्रोश सामने आ चुका है। बिलासपुर में उन्होंने एक प्रेस फोटोग्राफर की आधी रात को पकड़कर कोतवाली बुला लिया था और उसकी बेदम पिटाई की। प्रेस फोटोग्रॉफर अपनी ड्यूटी कर घर लौट रहा था। इसके खिलाफ कोतवाली थाने में नागरिकों और पत्रकारों ने प्रदर्शन किया । कुछ समय बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री बिलासपुर प्रवास पर आये तो उनके एक कार्यक्रम में उस वक्त के सांसद लखन लाल साहू और महापौर किशोर राय को उन्होंने घुसने से यह कहकर रोक दिया कि उनके पास मौजूद अतिथियों की सूची में उनका नाम नहीं है। इस घटना के बाद ही उनका महासमुंद तबादला किया गया था।

कोरबा में उदय किरण के दुर्व्यवहार व मारपीट के खिलाफ भी नागरिकों ने प्रदर्शन किया था। रायगढ़ में वाहन चेकिंग के दौरान अपनी पत्नी के साथ निकले एक वृद्ध चार्टर्ड एकाउंटेंट को उसने बीच सड़क पर घुटनों के बल खड़ा होने के लिये मजबूर किया। इसके विरोध में नागरिकों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव कर दिया था।

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