सीवीआरयू में दो दिवसीय राष्ट्रीय युवा दिवस

बिलासपुर। डा.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया। दो दिवसीय आयोजन में व्याख्यान के साथ, स्वामी विवेकानंद पर केंद्रित भाषण, पेंटिंग, रंगोली और कोटेशन प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।

इस अवसर उप संचालक और जिला शिक्षा अधिकारी हेमंत उपाध्याय मुख्य-वक्ता के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने पूरे देश को अपने पैर से नाप दिया था, और उन्होंने विदेश की यात्रा भी की। जीवन के हर क्षण वे अध्ययन भी करते रहे। ऐसा कोई भी विषय नहीं है जिस पर उनका अधिकार न हो। योग, अध्यात्म, खेल, विज्ञान, इतिहास सहित अन्य सभी विषयों में उनकी अद्भुत जानकारी थी। वे यह भी जानते थे, कि भारत के वेदों में ही संसार का ज्ञान छिपा है और साइंस व टैक्नॉलाजी विदेशों में है। वे दोनों का सामंजस्य चाहते थे। वे शारीरिक व आध्यात्मिक दोनों तरह की शिक्षा के पक्षधर थे। वे चाहते थे कि अध्यात्म का सामवेश शिक्षा में होना चाहिए। इससे हम युवाओं को संस्कारवान बना सकेंगे। इस अवसर पर सम कुलपति प्रो. पी.के.नायक व इजीनिंयरिंग के प्राचार्य डॉ. मनीष उपाध्याय सहित कई वक्ताओं ने स्वामी विवेकानंद के जीवन पर प्रकाश डाला और उनके प्रेरणा लेने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन डॉ अनुपम तिवारी ने किया। कार्यक्रम में  सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यपक उपस्थित थे।
ज्ञान मनुष्य के अंर्तमन में निहित है- गौरव
विश्वविद्यालय के कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का कहना था कि ज्ञान मनुष्य के अंर्तमन में निहित है। इसके रूप जरूर अलग हो सकते हैं। वे चाहते थे कि भारत का हर युवा कौशल में दक्ष हो। यह दक्षता ही भारत को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगी। यही कारण है कि आज पूरे देश में कौशल विकास के माध्यम से युवाओं को दक्ष किया जा रहा है। इस वैश्विक कारोना काल में भी भारत आत्मनिर्भर रहा और यह संकल्प स्वामी विवेकानंद की इच्छानुसार पूरा किया जाएगा।
लक्ष्य हमेशा कल्पना से परे होना चाहिए-तिवारी
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि दूरस्थ शिक्षा के डायरेक्टर अरविंद तिवारी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद युवाओं के मन में एकाग्रता, ब्रह्मचर्य, विराट व्यक्तित्व और घनघोर आत्मविश्वास देखना चाहते थे। वे चाहते थे कि युवाओं का लक्ष्य हमेशा कल्पना से परे होना चाहिए। युवाओं को इस बात को जीवन में उतारने की जरूरत है।
शिक्षा मनुष्यता की ओर ले जाती है-प्रो. दुबे
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सीवीआरयू के कुलपति प्रो.रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि शिक्षा से आत्मविश्वास पैदा होता है और आत्मविश्वास से मन के भीतर बैठा ब्रह्म जागता है। केवल जानकारी का ढेर शिक्षा नहीं जो हमारे दिमाग में है। हमें महापुरुषों के विचारों को इस तरह आत्मसात करना चाहिए जिससे हमारे जीवन का निर्माण हो सके। सही मायने में शिक्षा हमें मनुष्यता की ओर ले जाती है।

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