नेशनल कॉन्क्लेव में जल जीवन मिशन एप किया लॉन्च

खरोरा (रायपुर)। एमिटी विश्वविद्यालय और यूनिसेफ की ओर से आयोजित जलवायु परिवर्तन पर नेशनल कॉन्क्लेव का राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आज उद्घाटन किया। उन्होंने इस मौके पर जल जीवन मिशन एप्प भी लॉन्च किया।

राज्यपाल ने इस वसर पर कहा कि इस सम्मेलन में शामिल होकर उन्हें खुशी हो रही है। जलवायु परिवर्तन मनुष्य के लालच का परिणाम है। महात्मा गांधी ने कहा था कि प्रकृति हमारी हर आवश्यकता को पूरी कर सकती है लेकिन लालच नहीं। हमने परिणाम देखा जब कोरोना में ऑक्सीजन की कमी से कई नागरिकों को जान गंवानी पड़ी। सुपबेड़ा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अशुद्ध पानी के कारण वहां 200 लोगों की मौत किडनी की बीमारी से हो गई। मैंने वहां जाकर वास्तविक स्थिति देखी और आज उन्हें शुद्ध पानी मिल रहा है।  राज्यपाल ने कहा कि ‘जल जीवन मिशन’ और ‘बिहान’ जैसे कार्यक्रमों से ग्रामीण जीवन को व्यवस्थित और सुलभ बनाने के लिए यूनिसेफ और एमिटी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ प्रतिबद्ध हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ के ग्रामीण युवाओं का समूह- ‘युवोदय’ आज सरकार की योजनाओं को गांव के अंतिम व्यक्ति तक लेकर जा रहा है ताकि हमारे ग्रामीण योजनाओं का लाभ ले सकें। राज्यपाल ने कहा कि वे आशान्वित हैं कि यह सम्मेलन शिक्षकों, नीति निर्माताओं और औद्योगिक घरानों के विद्वानों के लिए सतत् विकास से संबंधित योजना बनाने में सहायक साबित होगा। स्वतंत्रता का अर्थ- केवल अच्छी शिक्षा और रोजगार के अवसर प्राप्त करना ही नहीं है बल्कि शुद्ध वातावरण में जीवनयापन करना भी है। जब तक विद्वानों द्वारा योजनाओं के निर्माण हेतु परिचर्चा न हो, सलाह व सुझाव प्राप्त न हो, किसी भी योजना के प्रति नागरिकों को जागरुक करना असंभव है। यूनिसेफ और एमिटी विश्वविद्यालय ने ‘जलवायु परिवर्तन’ की समस्या के निदान को एक मिशन की तरह लिया है। यह छत्तीसगढ़ का पहला विश्वविद्यालय है, जिसने ‘जलवायु परिवर्तन’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ धान का कटोरा इसलिए है क्योंकि धान के लिए जल की आवश्यकता अधिक है, यहां जल पर्याप्त है। जब से कोरोना आया है तब से लोगों का ध्यान ऑर्गनिक अनाज और फलों की ओर हुआ है। कोरोना ने सीख दी है कि जीवन जीने के लिए खान-पान में शुद्धता अपनानी होगी।

इस दौरान प्रो वाइस चांसलर प्रो. पीयूषकांत पांडे ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पहली बार जल, ऊर्जा एवं जलवायु विषय पर नेशनल कनक्लेव आयोजित किया गया है, छत्तीसगढ़ का 42 प्रतिशत भौगोलिक हिस्सा वनों से आच्छादित है। जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए वन महत्वपूर्ण है, यहां कोयला, पानी, लौह और एल्युमिनियम खनिज का भंडार। यह सिर्फ जंगल प्रदेश नहीं बल्कि खनिज से भरपूर और विकसित उद्योगों के लिए भी जाना जाता है। हम ऊर्जा के रुप में कोयला, पेट्रोल इस्तेमाल कर रहे हैं, इसलिए कार्बन डायआक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। इसलिए हम सभी को जलवायु को संतुलित रखने में अपनी भूमिका निभानी है। ठंड में अधिक ढंड, गर्मी में अधिक गर्म और बारिश के मौसम में इतनी अधिक बारिश कि हमें बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने हर गांव तक जल जीवन मिशन योजना को पहुंचाने का संकल्प लिया है, इससे प्रेरित होकर यूनिसेफ और अमिटी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ ने विभिन्न पहल की है, यह सम्मेलन भी इसी का हिस्सा है। हमारे छात्र 28 जिलों में जल जीवन मिशन के लिए कार्यरत हैं, आज हमारे प्रोफेसर्स, विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ मिलकर ऐसी नीति निर्मित करने जा रहे हैं, जो सभी नागरिकों के लिए अपनाने योग्य होगा।

कुलपति डॉ. डब्लू. सेल्वामूर्ति ने कहा कि राज्यपाल की उपस्थिति से इस कनक्लेव की महत्ता बढ़ गई है। उनका आध्यात्मिक प्रभाव ऐसा है कि जब भी मिलता हूं ऊर्जा से पूर्ण सकारात्मक दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित होता हूं। राज्यपाल ने हर नागरिक के लिए राजभवन का दरवाजा खोल दिया है, समाज के निचले तबके के लोगों के लिए भी सेवाभाव देखने को मिलता है। पहली बार जब हमने महिला सशक्तिकरण कार्यशाला में जनजाति महिलाओं को प्रशिक्षित कर रहे थे, तब आपने इन प्रशिक्षित महिलाओं से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। डॉ अशोक चौहान फाउंडर चेयरपर्सन के प्रयास से देश-विदेश में 18 कैंपस है, 10 हजार से ज्यादा फैकल्टी और 2 लाख ज्यादा स्टूडेंट, 5 हजार शोधार्थी हैं, एक वैश्विक शक्ति के रुप हम विकसित हो रहे हैं, ज्ञान, कौशल और व्यावहारिक मूल्यों की शिक्षा और प्रशिक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हमारा विश्वविद्यालय समाज में अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग कर रहा है। यहां दो दिनों तक चलने वाले तकनीकी सत्रों में पर्यावरणविद् और प्रोफेसर अपना ज्ञान और अनुभव साझा करने जा रहे हैं।

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