बिलासपुर। तनाव जीवन का एक हिस्सा है जिसको आसानी से कम किया जा सकता है। ज़रूरी यह है कि तनाव को पहचान कर उससे बचें।

राज्य मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यस्थल तनाव प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन राज्य मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय, सेंदरी और बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र सरकंडा बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ बीआर नंदा ने कहा कि तनाव से बचा नहीं जा सकता।

बैरिस्टर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र के अधिष्ठाता डॉ आरकेएस तिवारी ने कहा कि आज की तेज रफ्तार ज़िंदगी में हर व्यक्ति तनाव का शिकार है । खासकर शिक्षार्थी एवं कार्य करने वाले लोग चाहे वह गृहणी ही क्यों न हो । सही प्रबंधन न होने से व्यक्ति  डिप्रेशन में चला जाता है। इस तरह की कार्यशाला नियमित होने चाहिए ताकि उन लोगों को प्रोत्साहन मिले जो कार्यस्थल पर तनाव का प्रबंधन नहीं कर पाते हैं। उनको इन कार्यशालाओं के माध्यम से कार्यस्थल पर तनाव प्रबंध करने के गुण मिल सके ।

विशिष्ट अतिथि डॉ. आशुतोष तिवारी ने कहा कि उचित प्रबंधन ना होने से कार्यस्थल पर तनाव बढ़ जाता है। कार्यस्थल तनाव प्रबंधन के लिए छोटे-छोटे टिप्स अपनाने होंगे जिससे  तनाव को कम किया जा सकता है | कार्यस्थल पर एक दूसरे की भावनाओं का ध्यान रखते हुए काम को आपसी समन्वय और संवाद से पूरा करना चाहिए ।

डॉ सतीश श्रीवास्तव ने बताया कि उचित प्रबंधन न होने पर लोगडिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं, एंग्जायटी भी हो सकती है। इससे एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन, पोस्ट पोमाटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर(पीटीएसडी)भी हो सकता है। इस सब से बचने के लिए आपसी समन्वय से तनाव का प्रबंधन करना होगा ।

कार्यशाला में मास्टर ट्रेनर प्रशांत रंजन पांडे ने गतिविधि के माध्यम से बताया कि कार्यस्थल पर से संवाद कैसे करते हैं,और कैसे कार्य को  सहयोगियों के साथ समन्वय स्थापित करके कार्य को पूरा किया जा सकता है, आपसी सामंजस्य कैसे बैठाया जाता है, काम को कैसे करना होगा ताकि तनाव का विकेंद्रीकरण हो ।

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