बिलासपुर। डॉ. सी वी रामन विश्वविद्यालय में स्वतंत्रता आंदोलन और नारी शक्ति विषय पर एक दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया।  इस अवसर पर विद्वान वक्ताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में नारी शक्तियों के महत्व को बताया। साथ ही कुछ ऐसे नाम का भी उल्लेख किया, जो कि इतिहास में गुम हो गए हैं । अतिथि वक्ताओं का मानना है, कि नारी शक्तियों को इतिहास से ढूंढ कर वर्तमान पीढ़ी को उनके संघर्षों से  अवगत कराना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

आजादी की 75 वीं वर्षगांठ को अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है । इस दौरान देशभर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं । इसी क्रम में डॉ सी वी रामन विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान विभाग, एनएसएस और आइक्यूएसी द्वारा एक दिवसी वेबीनार का आयोजन किया गया । वेबीनार का विषय स्वतंत्रता आंदोलन और नारी शक्ति तय किया गया था । इस वेबीनार में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ शकुंतला मिश्र राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश के इतिहास विभाग के प्राध्यापक डॉ आलोक पांडे ने कहा, कि भारतीय संस्कृति में नारी को देवी और शक्ति का रूप माना गया है। यह बात स्वतंत्रता आंदोलन में भी सिद्ध हुई है ।

स्वतंत्रता संग्राम में पुरुषों के बराबरी में नारी शक्ति ने भी भाग लिया था । उन्होंने बताया कि आज सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है, कि ऐसी नारी शक्तियां जो आंदोलन में थी, लेकिन इतिहास में गुम हो गई हैं । इनका नाम उनका पराक्रम और उनका योगदान सामने आना चाहिए । जिससे कि वर्तमान और भावी पीढ़ी प्रेरणा ले सकें । इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के  इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ घनश्याम दुबे ने कहा , कि विदेशी लेखकों ने अपने लेख में अनेक नारी शक्तियों का वर्णन किया है ।जो स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे , लेकिन यह इतिहास दबकर रह गया है । आज हमें स्वतंत्रता आंदोलन के प्रत्येक भाग को पढ़ने समझने की जरूरत है । जिसमें की बड़ी संख्या में नारी का योगदान था , लेकिन किन्हीं भी कारणों से वह स्वर्णिम इतिहास के रूप में हमारे सामने नहीं आ सका है। नारी शक्ति के आंदोलन में शामिल महिलाओं का नाम हम युवा पीढ़ी तक पहुंचा सकें यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर कला संकाय के संकाय अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश मिश्र, शारीरिक शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ जय शंकर यादव, सामाजिक विज्ञान विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ काजल मोइत्रा , डॉ राम रतन साहू , डॉ महेश शुक्ला,  डॉ अंजू तिवारी, श्रीमती मंजू साहू , सहित सभी विभागों के विभागाध्यक्ष और प्राध्यापक उपस्थित थे।

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि समय कब इतिहास बन जाता है,  यह कहा नहीं जा सकता। स्वतंत्रता आंदोलन का हर दिन इतिहास था , और इसमें नारी शक्ति की भूमिका गौरवशाली थी। उस संघर्ष के समय में भी  नारी ने पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन में साथ दिया था । आज भी नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। बस उन दिनों के संघर्षों की कहानी हमें आज की नारी तक सत्य पहुंचाना है । यही हमारा उद्देश्य होना चाहिए।
सीवीआरयू के डॉ राजीव को गोल्डन एम्स अवॉर्ड
डॉ सी वी रामन विश्वविद्यालय के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट ऑफिसर डॉ राजीव पीटर को गोल्डन  एम्स अवार्ड से नवाजा गया है।  यह अवार्ड फेडरेशन ऑफ क्वालिटी एजुकेशन द्वारा शिक्षा और उद्यमिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रदान किया जाता है । डॉ राजीव पीटर को मुंबई के एक समारोह में यह अवार्ड प्रदान किया गया। विश्वविद्यालय परिवार ने डॉ राजीव की इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त किया है।

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