बिलासपुर । प्रदेश के बहुचर्चित विराट सराफ अपहरण कांड में पुलिस ने उसकी बड़ी मां नीता सराफ को गिरफ्तार किया है। सरगना अनिल सिंह को सूद में दिये गये 25 लाख रुपये वापस पाने के लिए उसने अपहरण में आरोपियों की मदद की है। जिला अधिवक्ता संघ ने अपहरण के आरोपियों की पैरवी नहीं करने का निर्णय लिया है।

पुलिस के इस खुलासे ने लोगों को चौंका दिया है। विवेक के परिवार के घर रोज सांत्वना देने वाली विराट की बड़ी मां नीता ने अपहरण के आरोपियों का साथ दिया है। पुलिस ने 20 अप्रैल से अपह्रत विराट को 26 अप्रैल की सुबह सकुशल छुड़ाकर परिवार के सुपुर्द कर दिया था और इस सिलसिले में एक सरगना अनिल सिंह सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। विराट के पिता  विवेक सराफ के पास  फिरौती के लिए आ रहे फोन काल्स से पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंच चुकी थी कि आरोपियों को उनके परिवार और रिश्तेदारों की आर्थिक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी है। फोन कॉल करने वाला राजकिशोर विवेक को सलाह दे रहा था कि उसे कौन सी जमीन जायजाद बेचकर रकम जुटानी चाहिए और किस धनी रिश्तेदार से रुपये उधार ले लेना चाहिए। पुलिस ने विवेक की तरह ही स्क्रैप का कारोबार करने वाले जिन लोगों को खंगाला उनमें से दूसरा सरगना राजकिशोर सिंह गायब था। उसके घर में आरोपी विशाल सिंह ने विराट को कैद करके रखा था। पुलिस ने विराट को छुड़ाने के बाद विशाल सिंह को घेरकर पकड़ा और उसकी निशानदेही से अनिल सिंह और रतनपुर के सतीश शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। अनिल सिंह से प्रारंभिक पूछताछ में ही पुलिस को मालूम हो गया था कि उसे एक रिश्तेदार महिला से विवेक और उसके रिश्तेदारों  की प्रापर्टी की जानकारी हो रही थी।

26 अप्रैल की शाम जब पुलिस महानिरीक्षक प्रदीप गुप्ता और पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा प्रेस कांफ्रेंस ले रहे थे उसी समय उन  तक खबर पहुंच गई थी आरोपी अनिल सिंह का गोंडपारा निवासी नीता सराफ से बेहद करीबी सम्बन्ध है और उसका इस घर में अक्सर आना जाना होता है। चूंकि यह महिला विवेक की करीबी रिश्तेदार, चचेरी भाभी है-इसलिये पुलिस ने पूरी तहकीकात करने के बाद उसकी 28 अप्रैल की शाम गिरफ्तारी की।

पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने बताया कि गीता सराफ सूद में रुपये देने का काम करती है। उसने अनिल सिंह को गन्ना व्यवसाय शुरू करने के लिए 30 लाख रुपये दिये थे, जिनमें से अनिल सिंह सिर्फ 6 लाख रुपये लौटा पाया। बाकी रुपये लौटाने के लिए नीता ने जब दबाव बनाया तो अनिल सिंह ने किसी कारोबारी के बेटे का अपहरण कर रुपये इकट्ठे करने की अपनी योजना के बारे में नीता को बताया। नीता से उसने पूछा कि किसके यहां से किसी बेटे को अगवा किया जा सकता है। अपने डूबे हुए रुपये पाने की लालच में नीता ने विजयापुरम्, सरकंडा निवासी सराफा कारोबारी सत्यनारायण सराफ के बारे में बताया। अनिल सिंह ने अपने साथ इस योजना में राजकिशोर सिंह को शामिल कर लिया जो पहले ही अपहरण के एक मामले में आरोपी रह चुका है। इसके अलावा उसने अपने साथ काम करने वाले दो कर्मचारियों विशाल उर्फ हरे कृष्णा तथा सतीश शर्मा को जोड़ लिया। इसके बाद उन्होंने सत्यनारायण सराफ के घर की रैकी की तो पता चला कि वे परिवार सहित लम्बी तीर्थ यात्रा पर निकले हैं। अनिल सिंह ने तब कोई दूसरा नाम बताने के लिए के लिए कहा। तब आरोपी नीता सराफ ने विवेक सराफ और उसके बेटे विराट के बारे में बताया।

जैसा कि पुलिस पूछताछ में नीता सराफ ने कहा कि उन्होंने अपहरणकर्ताओं से कहा था कि बच्चे को एक दो दिन में छोड़ देना, उससे मारपीट मत करना। जितने रुपये मिले, उसमें से मेरा पैसा लौटाकर बाकी रख लेना लेकिन पुलिस की बनाई गई व्यूह रचना में आरोपी फंस गये थे और विवेक सराफ पुलिस के बताये अनुसार बातचीत और फिरौती की रकम को कम कराने में लम्बा समय ले रहे थे। आरोपी अनिल सिंह ने जब नीता को बताया कि विवेक सराफ रुपयों की व्यवस्था नहीं कर पाने की बात कर रहे हैं तो नीता ने ही अनिल सिंह को बताया कि पैसे कहां से हासिल किये जा सकते हैं। यह बात राजकिशोर सिंह ने विवेक से कही और यहीं से पुलिस को यह पुख्ता जानकारी मिल गई उसके करीबी और परिचित इस अपहरण कांड में लिप्त हैं। पुलिस ने नीता सराफ के खिलाफ अपहरण और साक्ष्य छुपाने के आरोप में अपराध दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।

डेढ़ करोड़ रुपये पहुंचाने के लिए बस चढ़ने वाला था विवेक

पुलिस की प्राथमिकता थी कि विराट को कोई नुकसान न पहुंचे। इसलिए उन्होंने फिरौती के लिए आ रहे फोन काल्स को डील करने से विवेक को मना नहीं किया। सिर्फ इतना ही कहा कि इस बात कि जानकारी वह किसी को भी न दें। सरगना राजकिशोर सिंह ने 21, 23 और 24 अप्रैल को कई दौर की बातचीत में फिरौती की रकम घटाकर डेढ़ करोड़ रुपयों की व्यवस्था कर ली। आरोपियों से मिले निर्देश के मुताबिक वे 25 अप्रैल की शाम औरंगाबाद जाने वाली बस से रवाना होने के लिए वे बस-स्टैंड में पहुंच गये। विराट की सुरक्षा को लेकर चिंतित पुलिस ने इससे भी विराट को नहीं रोका, पर इस बीच दो घटनाएं हो गईं। विराट को छिपाई गई जगह की पुलिस को पक्की जानकारी मिल गई और औरंगाबाद वाली बस चुनाव ड्यूटी के चलते वहां तक न जाकर सिर्फ रामानुजगंज तक जाने वाली थी। विवेक ने आरोपियों को सिर्फ औरंगाबाद के लिए बस नहीं होने की बात बताई। तब आरोपियों ने उन्हें फिर फोन कर बताने की बात कही कि उसे कहां रकम छोड़नी है, लेकिन कुछ घंटों बाद पुलिस ने विराट को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से मुक्त करा लिया था।

प्रमुख आरोपी की अभी भी तलाश

फिरौती की रकम मांगने के लिए बिहार, यूपी, झारखंड से फोन करने वाले अपहरण की वारदात के दूसरे प्रमुख आरोपी राजकिशोर की पुलिस तलाश में लगी हुई है। इसके लिए कई टीमें लगाई गई हैं। अनिल सिंह के घर के निचले हिस्से में किराये से रहने वाली महिलाओं से कड़ी पूछताछ के बाद पुलिस ने छोड़ दिया है। उनकी अपहरण में कोई भूमिका नहीं पाई गई है। शेष आरोपियों को पुलिस ने रिमांड पर लिया है।

जिला अधिवक्ता संघ ने एक प्रस्ताव पारित कर अपहरण के आरोपियों की पैरवी नहीं करने का निर्णय लिया है। अध्यक्ष सुरेश सिंह गौतम ने कहा कि यह घोर भर्त्सनापूर्ण कृत्य है।  पूरी घटना साफ-साफ दिखाई दे रही है। अपहरण के आरोपियों की पैरवी कर उनकी मदद नहीं की जा सकती।

 

 

 

 

 

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