प्रदेश सचिव महेश दुबे के छठ घाट वाले बर्ताव और ऐन वक्त पर आकाश यादव की गिरफ्तारी को लेकर संगठन ने लिया एक्शन

बिलासपुर । प्रदेश कांग्रेस सचिव महेश दुबे द्वारा सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायकों के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करने की शिकायत की जांच का निर्देश प्रदेश के प्रभारी पी.एल. पुनिया ने दिया है। इसी तरह लखीराम ऑडिटोरियम से कांग्रेस कार्यकर्ता आकाश यादव को गिरफ्तार किये जाने, अटल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह व दशहरा उत्सव के कार्यक्रमों विधायक की उपेक्षा की जांच की जायेगी। पार्टी ने इन घटनाओं पर छपी ख़बरों को पार्टी की छवि को धूमिल करने वाला पाया है। प्रदेश महामंत्री गिरीश देवांगन ने एक सप्ताह के भीतर जिला कांग्रेस प्रभारी मोतीलाल देवांगन तथा मंजू सिंह को इन मामलों की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

मालूम हो कि छठ पूजा के दौरान अरपा महाआरती के कार्यक्रम में 31 अक्टूबर को प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अभय नारायण राय के निमंत्रण पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहुंचे थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समय की कमी का हवाला देते हुए छठ घाट के कार्यक्रम में आरती करने और विचार रखने के बाद रवाना हो गये और उन्होंने बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय तथा तखतपुर विधायक रश्मि सिंह ठाकुर को कार्यक्रम स्थल पर रुकने के लिए कहा। बघेल के जाते ही प्रदेश सचिव महेश दुबे बिफर गये। शिकायत के मुताबिक उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए, जल्दी चले जाने को लेकर अपशब्दों का प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि किसी धार्मिक कार्यक्रम का बेड़ा गर्क कराना हो तो सीएम को बुला लो। विधायकों के खिलाफ भी अपशब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि सीएम तो उड़ गये पर बाकी लोग क्यों उड़ रहे हैं। चूंकि दुबे ने यह बात आयोजकों व कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भीड़ के बीच कही, लोग हैरान रह गये। बताया जाता है कि कुछ लोगों ने इसका वीडियो भी बना लिया। प्रदेश सचिव दुबे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले प्रदेश कांग्रेस महामंत्री अटल श्रीवास्तव व प्रवक्ता अभय नारायण राय की ही टीम से हैं।  प्रदेश कांग्रेस महामंत्री अटल श्रीवास्तव ने अपने समर्थक महेश दुबे के बचाव में कुछ ऐसा बयान दे दिया कि घटना की पुष्टि हो गई पर विवाद और बढ़ गया। श्रीवास्तव ने कहा था कि दुबे ने मुख्यमंत्री के खिलाफ कुछ नहीं कहा था। उन्होंने विधायकों के खिलाफ टिप्पणी की है जो बघेल का निर्देश नहीं मानकर कार्यक्रम स्थल से चले गये थे। बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय ने तत्काल पलटवार करते हुए बयान दिया कि माना, मुख्यमंत्री के खिलाफ दुबे ने नहीं बोला हो, पर अपनी ही पार्टी के विधायकों के खिलाफ भी सार्वजनिक रूप से अभद्र भाषा का इस्तेमाल क्यों किया गया? यह अनुशासनहीनता है और संगठन को देखना चाहिए। विधायक पांडेय ने यह भी स्पष्ट किया कि वे मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार कार्यक्रम स्थल पर देर तक रुके थे। उन्हें कार तक छोड़ने के बाद वे महाआरती के पूरे समारोह में रुके। इसलिये यह भी आरोप गलत है कि वे कार्यक्रम स्थल से चले गये थे, इसलिये उनके खिलाफ अपशब्द कहे गये।

इससे पहले बीते 19 अक्टूबर को एक और घटना हो चुकी थी। सीएमडी कॉलेज के छात्रों का एक रिफ्रेशर इवेन्ट लखीराम अग्रवाल ऑडिटोरियम में रखा गया था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक शैलेष पांडेय थे। आयोजक कांग्रेस कार्यकर्ता व छात्र नेता आकाश यादव को ठीक कार्यक्रम शुरू होने से पहले पुलिस ने आठ माह पहले मार्च माह में हुई मारपीट के एक मामले में गिरफ्तार करते हुए आयोजन स्थल से उठाकर ले गई। गिरफ्तारी से पहले ऑडिटोरियम की व्यवस्था में भी व्यवधान डालकर कार्यक्रम को रद्द करने का प्रयास किया गया था। पुराने मामले में पुलिस ने जिस तरह से विधायक के आतिथ्य में होने वाले कार्यक्रम के आयोजक को गिरफ्तार किया उस पर सवाल उठे। हालांकि यादव को तीन दिन बाद कोर्ट से जमानत मिल गई।

इसके पहले अटल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में विधायक शैलेष पांडेय को अतिथि के रूप में आमंत्रित नहीं करने तथा निमंत्रण पत्र में नाम नहीं डाले जाने को लेकर विवाद हुआ था। विधायक शैलेष पांडेय ने इस कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया था। नगर-निगम के दशहरा उत्सव में भी विधायक शैलेष पांडेय को मुख्य अतिथि बनाने को लेकर व्यवधान डाला गया था।

प्रदेश संगठन की ओर से प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री (कार्यालय, प्रशासन) गिरीश देवांगन ने पत्र जारी कर जिला प्रभारियों से कहा है कि प्रकरण से सम्बन्धित नेताओं और कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत रूप से चर्चा कर वे विस्तृत गोपनीय रिपोर्ट तैयार करें और प्रदेश कांग्रेस कमेटी को प्रेषित करें।

इन मामलों की शिकायत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम व प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव पी.एल. पुनिया से की गई थी। दोनों ने ही कहा था कि यदि मुख्यमंत्री या पार्टी विधायकों के खिलाफ कोई अनर्गल टिप्पणी कर रहा हो तो  कड़ी कार्रवाई की जायेगी।

ज्ञात हो कि इनमें से कई कार्यक्रमों में यह दिखाई दे चुका है कि विधायक को उपेक्षित करने के लिए पुलिस व प्रशासनिक तंत्र का भी इस्तेमाल किया जाता है। पांडेय की प्रतिक्रिया इन मामलों में अब तक संतुलित रही है। उल्लेखनीय है कि कुछ समय बाद नगरीय निकायों के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे दौर में कांग्रेस में जो कुछ शहर के लोग होता देख रहे हैं उससे पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

 

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