अमित जोगी को जेल से बाहर निकलने के लिए अब हाईकोर्ट में अपील करनी होगी

बिलासपुर।  मरवाही के पूर्व विधायक अमित जोगी की जमानत याचिका खारिज करते हुए पेन्ड्रारोड के अपर सत्र न्यायाधीश ने कहा कि अभियुक्त पर प्रजातंत्र के पावन मंदिर राज्य विधानसभा में सदस्य निर्वाचित होने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप है। उक्त आरोप गंभीर प्रकृति का है, अतः विवेचना के स्तर पर अभियुक्त को जमानत का लाभ देना उचित प्रतीत नहीं होता।

मालूम हो कि तीन सितम्बर को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी पेन्ड्रारोड ने अमित जोगी की जमानत अर्जी को निरस्त करते हुए 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया था। तीन सितम्बर को सुबह ही पेन्ड्रा पुलिस ने बिलासपुर के अधिकारियों के साथ अमित जोगी को मरवाही सदन से गिरफ्तार किया था। आज अपर सत्र न्यायाधीश विनय कुमार प्रधान की कोर्ट में अमित जोगी के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई।

अधिवक्ता एस के फरहान ने अभियुक्त अमित जोगी के जमानत आवेदन पर तर्क दिया कि गौरेला थाने में उनके विरुद्ध दर्ज धारा 420, 465, 468 तथा 471 भारतीय दंड संहिता के अपराध दर्ज कर किया गया है। अभियुक्त एक सम्मानित व्यक्ति हैं और छत्तीसगढ़ के निर्वाचित विधायक रह चुके हैं। वे छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष हैं। अभियुक्त के विरुद्ध राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर फर्जी प्रकरण बनाया गया है। अभियुक्त बेकसूर है तथा जमानत पर रिहा करने के लिए पर्याप्त आधार हैं। उच्च न्यायालय में इस प्रकरण का निराकरण किया जा चुका है। ऐसे में पुलिस द्वारा दर्ज प्रथम सूचना प्रतिवेदन का कोई औचित्य नहीं है। अपने तर्क के समर्थन में अभियुक्त के वकील ने इंदिरा गांधी विरुद्ध राजनारायण सहित कई उद्धरण देते हुए विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका के शक्ति पृथक्करण को लेकर तर्क रखे। चुनाव अधिकरण को सिविल, क्रिमिनल, रेवेन्यू सभी तरह की शक्तियां होने की बात कही। साथ ही सबूत के भार को लेकर भी तर्क रखा गया।

कोर्ट ने पाया कि प्रस्तुत किये गए उद्धरण इस प्रकरण से भिन्न हैं। अभियोजन की ओर से कहा गया कि अभियुक्त ने मरवाही विधानसभा से प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करने के लिए अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र प्राप्त करने अनुविभागीय अधिकारी पेन्ड्रारोड के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने अपना जन्मस्थान सारबहरा ग्राम को बताया, जबकि उसने भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए अपना जन्मस्थान डल्लास, टेक्सास यूएसए प्रदर्शित किया था। उसने कपटपूर्वक अनुसूचित जाति, जनजाति का जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया। वह विधि स्नातक है और कानून का जानकार है. फिर भी उसने जानबूझकर आपराधिक कृत्य किया है। वह इस क्षेत्र का अति प्रभावशाली व्यक्ति है, जमानत का लाभ मिलने से वह साक्षियों को दबाव, धमकी, प्रलोभन आदि तरीकों से प्रभावित कर सकता है। अभियोजन ने  भी इसे लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विरुद्ध अमरमणि त्रिपाठी का केस का उद्धरण रखा था।

विधि के जानकारों ने बताया कि अब अमित जोगी को जेल से बाहर निकलने के लिए हाईकोर्ट में अपील करनी होगी। कोर्ट का आदेश जब तक उनके पक्ष में नहीं आता उन्हें जेल में ही रहना होगा।

 

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