बिलासपुर। पंजाब राज्य के मोहाली इलाके में कंस्ट्रक्शन कम्पनी द्वारा खतरनाक परिस्थितियों में काम लेने के कारण जिले के एक मजदूर परिवार को अपनी चार साल की बच्ची को खोना पड़ा। इसकी मौत  साइट पर 10वीं मंजिल से गिरने के कारण हो गई। हादसे के बाद मजदूर को कम्पनी के मैनेजरों ने भगा दिया। अब वह मजदूर न्याय पाने के लिये गुहार लगा रहा है।
मजदूर दूजराम कैवर्त व उसकी पत्नी।

ग्राम मोपका का दूजराम केंवट अपनी पत्नी सरिता, 8 साल के बेचे समीर, बेटी अंजली और 6 माह की बेटी संध्या के साथ एक दलाल लक्ष्मीनारायण के साथ बीते मार्च माह में पंजाब में राजमिस्त्री का काम करने के लिये गया। वहां उसे बुलराज कालरा टावर, मोहाली में काम पर लगाया गया। साइट के पास एक कमरा उन्हें रहने के लिये दिया गया। साइट में बच्चों की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था। न ही नियम के अनुसार वहां कोई पालना घर, आंगनबाड़ी दि था। मजदूरी के लालच में दूजराम और उसकी पत्नी अपने बच्चों को लेकर ही साइट पर काम चले जाते थे। 6 अगस्त की शाम करीब 5.50 बजे दूजराम की चार वर्ष की बेटी अंजली इमारत की 10वीं मंजिल की सीढ़ियों से सातवी मंजिल में गिर गई। चीख पुकार सुनकर दूजराम और दूसरे मजदूर दौड़े। वहां मालिक और ठेकेदार आदि पहुंचे। बच्ची को एक कमरे में ले जाया गया, जिसे उन लोगों ने डिस्पेंसरी बताया। यहां पर मौजूद डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। बहदवास, दूजराम को कम्पनी के मालिक और ठेकेदार ने पुलिस में सूचना देने से रोक दिया। रात में ही उनकी बच्ची का कफन-दफन भी उन्होंने करा दिया। दूसरे दिन सुबह होते ही उन्हें रेल टिकट दी गई और कुछ रुपये पकड़ा दिये। साथ ही चेतावनी दी कि घटना की चर्चा किसी न करें अन्यथा नतीजा भुगतना पड़ेगा। अनजान जगह में किसी सहारे की उम्मीद नहीं थी। दूजराम अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ घर छत्तीसगढ़ आ गया।

दूजराम का कहना है कि उसे अब तक न तो बच्ची की मौत की कानूनी रूप से कोई कागजात मिले हैं न ही मजदूरी मिली। लॉकडाउन के दौरान कम्पनी जो खुराक के खर्च दिये थे उसे दुबारा काम शुरू होने पर मजदूरी से काट लिया गया।

अपने घर मोपका आने पर दूजराम ने मृत्यु संस्कार और गुजारे के लिये लोगों से उधार ले रखा है। घर वापसी के दौरान ट्रेन पर उनकी भेंट एक पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम से हुई। उन्होंने आपबीती सुनी और ढांढस बंधाकर गुरु घासीदास सेवादार संघ से सम्पर्क करने कहा। यहां दूजराम को मालूम हुआ कि अन्तर्राज्जीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम 1979 के मुताबिक मजदूर के निवास स्थल, जिले और कार्यस्थल जिले दोनों जगह पर नियोजनकर्ता तथा लेबर एजेंट, दलाल को परमिट लेना जरूरी है। इसमें मजूदरी, बीमा आदि का विवरण होता है। कार्यस्थल पर मजदूरों की चिकित्सा की उचित व्यवस्था तथा बच्चों के लिये सुरक्षित दूरी पर पालना घर होना भी जरूरी है। वहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी।

मजूदर दूजराम ने पंजाब के मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, बिलासपुर जिला प्रशासन व पंजाब के अन्य अधिकारियों को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि उसे न्याय मिले। कानून के अनुसार बच्ची की मौत के दोषियों पर कार्रवाई हो तथा मुआवजा, क्षतिपूर्ति सहित उसे उसकी मजदूरी दिलाई जाये।

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