मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा-ग्राम स्वराज्य से खुलेंगे रोजगार के नये अवसर

पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में शामिल हुये राज्यपाल और मुख्यमंत्री

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उईके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय बिलासपुर के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस मौके पर उईके ने कहा कि वर्तमान और भविष्य में होने वाले सामाजिक बदलाव और परिस्थितियों की चुनौती को ध्यान में रखकर शिक्षा के मापदण्ड बनाने की आवश्यकता है। ऐसा करके ही हम श्रेष्ठ बने रह सकते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज देश में मंदी का दौर है और रोजगार के अवसर की कमी हो रही है। ऐसे समय में ग्राम स्वराज की दिशा में चलकर आत्मनिर्भरता प्राप्त की जा सकती है।


विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित दीक्षांत समारोह में विभिन्न विषयों की परीक्षाओं में प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को 48 स्वर्ण पदक सहित उपाधियां प्रदान की गई। समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलाधिपति और राज्यपाल अनुसुईया उईके ने की।

उईके ने कहा कि दूरस्थ ग्रामीण अंचल के निवासियों की भाषा, संस्कृति, सामाजिक संरचना तथा पर्यावरणीय ज्ञान पर अनुसंधान किया जाये तो कई ऐसे तथ्य सामने आएंगे, जो हमारे समाज को और अधिक बेहतर बनाने में सहायक होंगे। इस विश्वविद्यालय द्वारा दूरस्थ अंचलों के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा से जोड़ने का जो प्रयास किया जा रहा है, वो सराहनीय है। यह विश्वविद्यालय महिला अध्ययन केन्द्रों की स्थापना कर महिलाओं को सशक्त बनाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह भी एक अच्छा प्रयास है। विश्वविद्यालय के अकादमिक स्तर, पाठ्यक्रम में लगातार सुधार, पुस्तकों का प्रकाशन, नियमित समय पर परीक्षाएं आयोजित कर परिणामों की घोषणा एवं डिग्रीयों को राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपाजिट्री (NAD) में ऑनलाईन अपलोड करने तथा आवश्यकताओं के अनुरूप तीव्र गति से आधारभूत ढांचा विकसित करने के प्रयास किये गये हैं। पर्यावरण की दृष्टि से भी सोलर सिस्टम और जल संग्रहण के लिये तालाब का निर्माण किया गया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि जो छात्र-छात्रायें अपने महाविद्यालय की नियमित पढ़ाई छोड़ जाते हैं यह विश्वविद्यालय उन्हें पढ़ाई पूरी कर डिग्री हासिल करने का अवसर दे रहा है। पंडित सुंदरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ के लेखक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व समाज सुधारक थे। आजादी की लड़ाई के समय अछूत उद्धार का कार्य छत्तीसगढ़ में उन्होंने महात्मा गांधी से भी पहले शुरू कर दिया था।  उनके नाम पर यह विश्वविद्यालय रखा गया है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन-संग्राम में विजयी हों।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पर्यावरण की चिंता सबको है। पूरे देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत जंगल है। यह देश का 12 प्रतिशत हिस्सा है। पूरे देश को ऑक्सीजन देने का काम हमारा राज्य कर रहा है। इस योगदान का आकलन राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिये। विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं का उज्ज्वल भविष्य इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी योजना से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी। रोजगार मिलेगा और पर्यावरण की भी सुरक्षा होगी। उन्होंने कहा कि बिलासपुर के किसान खेतों में पैरा जलाने के बजाय गौठानों के लिये पैरा दान कर रहे हैं, जिससे पशुओं को चारा मिलेगा और दूध उत्पादन भी बढ़ेगा।

समारोह में दीक्षांत भाषण पद्म भूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने दिया। उन्होंने आग्रह किया कि छात्र-छात्राएं अपने परिवेश व प्रकृति को समझ सकें, इसके लिये पर्यावरण को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये और इसके लिये अलग से अंक दिये जायें। छात्र, पेयजल, मार्ग, विद्यालय, चिकित्सालय, खाद्य आपूर्ति, बिजली आदि सुविधाओं का अध्ययन करें। उनके उपयोग एवं दुरूपयोग, प्रबंधन तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर स्थानीय लोगों से परिचर्चा, उनकी कमियों एवं अच्छाईयों पर विचार-विमर्श करें।

समारोह में स्वागत उद्बोधन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर वंश गोपाल सिंह और आभार प्रदर्शन कुलसचिव इंदु अनंत ने दिया।

इस अवसर पर संभाग आयुक्त बी.एल.बंजारे, आईजी श्री प्रदीप गुप्ता, कलेक्टर डाॅ.संजय अलंग, पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल, अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, विश्वविद्यालय कार्यपरिषद, विद्या परिषद के सदस्य, अध्ययन मंडलों के अध्यक्ष, प्राचार्य, प्राध्यापक, अधिकारी-कर्मचारी, अभिभावक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। विश्वविद्यालय के भव्य प्रवेश द्वार का लोकार्पण भी राज्यपाल उईके द्वारा किया गया।

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