बिलासपुर, 8 जुलाई । अरपा भैंसाझार प्रोजेक्ट में वितरण नहर निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण में करोड़ों की गड़बड़ी की शिकायत पर जांच शुरू की गई है। आरोप है कि कागजों में निजी जमीन का अधिग्रहण कर मुआवजा बांट दिया गया, जबकि उस जमीन पर अभी भी कास्तकार का कब्जा है। बकायदा यहां खेती की जा रही है। पिछले सीजन में यहां लगाई गई धान की फसल की सोसायटी में बिक्री भी की गई।अब राज्य सरकार के निर्देश पर कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर ने जांच कमेटी बनाई है, इसमें बिलासपुर के एडीएम, एसडीएम प्रभारी तहसीलदार को शामिल किया गया है।
परियोजना में 47 कास्तकारों की निजी जमीन नहर निर्माण के लिए ली जानी थी।

शासन से स्वीकृत एलाइनमेंट के आधार पर प्रभावित किसनों को नोटिस जारी कर दावा-आपत्ति मंगाई गई। इनके निराकरण के बाद जनवरी 2019 में अधिसूचना का प्रकाशन हुआ। प्रक्रिया पूरी होने के बाद राज्य सरकार ने मुआवजा बांटने के लिए 46 करोड़ रुपये जारी किए। दस्तावेज बताते हैं कि राजस्व विभाग ने यहां मुआवजा बांटने में बड़ा खेल किया है। दो कास्तकारों को ही अधिग्रहण के लिए तय जमीन से तीन गुना अधिक जमीन का मुआवजा जारी कर दिया गया है। राजस्व विभाग के अफसरों ने इसके लिए सिंचाई विभाग द्वारा एलाइनमेंट के मुताबिक बनाए गए नक्शे में बदलाव तक कर दिया है। राजस्व विभाग से मुआवजा लेने के बाद मूल कास्तकार का यहां कब्जा है।

अरपा भैंसाझार प्रोजेक्ट के तहत तखतपुर तहसील के पटवारी हल्का नंबर 45 सकरी में वितरक नहर के लिए कुल 19.95 एकड़ जमीन की जरूरत पड़ी थी। इसके कुछ हिस्से की नहर 1980 मीटर लंबी और 44 मीटर चौड़ी बननी हैं। इसके दायरे में कई खसरा नंबर की जमीन आई है, इसमें से खसरा नंबर 19/4 से कुल एक चौथाई यानी करीब 40-45 डिसमिल जमीन पर ही नहर निकल रही है। पर शारदा अग्रवाल को इसके करीब तीन गुना अधिक 1.65 एकड़ जमीन के मुआवजे के रूप में दो किस्तों में 8876114.00 और 20471713.00 रूपए दिए गए हैं। जबकि मौके पर उनकी जमीन पर से एक इंच नहर नहीं निकली है। दस्तावेजों के अनुसार पूरी नहर सरकारी जमीन पर बनाई जा रही है। मुआवजा तत्कालीन कोटा एसडीएम आनंदरूप तिवारी के समय बांटा गया। इस मामले में बिलासपुर कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर ने कहा कि राज्य शासन के निर्देश पर जांच कमेटी बनाई है। कमेटी में एडीएम, एसडीएम व अन्य राजस्व अधिकारियों के साथ जल संसाधन विभाग के ईई को भी शामिल किया गया है।

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