दूसरी ओर जिले की ज्यादातर जनपद पंचायतों में कांग्रेस की स्थिति कमजोर

बिलासपुर। नगर निगम के बाद अब जिला पंचायत में भी कांग्रेस का कब्जा होने के आसार है। जिले की 22 सीटों में से कम से कम 15 कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों ने सफलता हासिल की है। 6 सीट पर भाजपा और एक में निर्दलीय को जीत मिली है। हालांकि ज्यादातर जनपद पंचायतों में भाजपा को मौका मिलने की संभावना है।

जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद का चुनाव 14 फरवरी को होने जा रहा है। नतीजों के मुताबिक 15 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है। हालांकि पार्टी नेताओं का कहना है कि उनके पास 17 सीटें आई हैं। कांग्रेस से जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए तखतपुर के जितेन्द्र पांडेय और कोटा के अरूण सिंह चौहान की दावेदारी सामने आई है। पांडेय ने पूर्व संसदीय सचिव राजू सिंह क्षत्री की पत्नी सुनीता सिंह क्षत्री को परास्त किया है। वे लगातार तीसरी बार जिला पंचायत सदस्य चुने गये हैं। कोटा के अरूण सिंह चौहान को संगठन के बड़े नेताओं का समर्थन हासिल है। वे भी पहले जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। कोटा क्षेत्र में बीते विधानसभा चुनाव के दौरान अनेक कार्यकर्ताओं ने जोगी कांग्रेस का दामन थाम लिया था उन्होंने दस साल तक विधायक प्रतिनिधि रहने के बावजूद पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के पक्ष में काम किया था। कांग्रेस में एकजुटता रही तो जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पदों पर पार्टी को मौका मिल सकता है।

जनपद पंचायतों में 13 फरवरी को अध्यक्ष उपाध्यक्ष पदों पर चुनाव होना है। जिले में सात जनपद पंचायतें हैं पर पेन्ड्रा को छोड़कर बाकी सभी में भाजपा समर्थित प्रत्याशी बहुमत में हैं। देखना होगा कि इनमें से कितने स्थानों पर कांग्रेस अपने हाथ में नेतृत्व ले पायेगी।

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण राय ने दावा किया है कि जिला पंचायत के 17 सदस्य कांग्रेस से चुने गये हैं। धान बोनस, समर्थन मूल्य, नरवा गरुवा घुरवा बारी योजना, संगठन के पदाधिकारी और जिले के दोनों विधायकों के जनसम्पर्क को उन्होंने जीत का श्रेय दिया है।

 

 

 

 

 

 

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