दो साल पहले कम्पोजिट बिल्डिंग के पशु चिकित्सा विभाग दफ्तर में भी लगी थी आग, साजिश का पता चला था….

बिलासपुर। जिला पंचायत में शुक्रवार की सुबह लगी आग पर काबू पा लिया गया है वहीं आग लगने के कारणों की जांच सात अधिकारियों की एक समिति करेगी। धुएं की चपेट में आने से 9 लोगों को इलाज के लिए सिम्स ले जाना पड़ा। आगजनी से जिला पंचायत सीईओ के दफ्तर के कई महत्वपूर्ण कागजात नष्ट हो जाने की आशंका है। इस घटना ने दो साल पहले कम्पोजिट बिल्डिंग में हुई आगजनी की भी याद दिला दी है, जिसमें साजिश की बात सामने आई थी।

जिला पंचायत कार्यालय भवन बिलासपुर में आज 24 मई को प्रातः 10.15 बजे भीषण आग लगने से कार्यालय भवन क्षतिग्रस्त हो गया है। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रितेश कुमार अग्रवाल ने इस घटना की जांच के आदेश दिये हैं। इसके लिये अतिरिक्त कलेक्टर बी.एस.उईके की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया गया है।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा गठित जांच समिति में मधेश्वर प्रसाद कार्यपालन अभियंता, लोक निर्माण विभाग बिलासपुर, एन.के.लाल कार्यपालन अभियंता, लोक निर्माण विभाग (विद्युत एवं यात्रिकी) , सी. एस.बाजपेयी संभागीय अभियंता, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड , अमित गुलहरे कार्यपालन अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, पी.बी.सिदार जिला सेनानी होमगार्ड बिलासपुर और एस.भारती इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर सदस्य के रूप में शामिल किये गये हैं। यह समिति आग लगने के कारण तथा दुर्घटना में हुये नुकसान का आकलन कर तीन दिवस के भीतर जांच प्रतिवेदन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को प्रस्तुत करेगी।

घटना सुबह 10.15 बजे की है। कुछ कर्मचारी दफ्तर के भीतर पहुंच चुके थे। भीतर प्रवेश करते समय कुछ अन्य कर्मचारियों ने देखा कि बिल्डिंग के बाईं ओर पहली मंजिल से आग की लपटें उठ रही हैं। यहां पर जिला पंचायत के सीईओ का चेम्बर है। उन्होंने तुरंत भीतर बैठे कर्मचारियों को आवाज लगाई। पुलिस कंट्रोल रूम व फायर ब्रिगेड को घटना की सूचना दी गई। कुछ देर में ही फायर ब्रिगेड के तीन वाहन जिला पंचायत भवन पहुंच गये। देखते ही देखते आग तीनों फ्लोर तक पहुंच चुका था और सामने के हिस्से से उठ रही लपटें बिल्डिंग के पीछे की ओर भी पहुंच गई। फायर ब्रिगेड जब तक आग पर काबू पाता जिला पंचायत सीईओ का दफ्तर आग से जलकर बुरी तरह खाक हो गया। दफ्तर में रखे बहुत से महत्वपूर्ण दस्तावेज आग से जलकर खाक हो चुके हैं।

इस बीच कार्यालय के अंदर घुसे कई कर्मचारी किसी तरह जान बचाकर बाहर निकलने में कामयाब हो गये। भीतर फंसे कर्मचारियों को सुरक्षित निकाला गया। घटनास्थल पर पहुंची एम्बुलेंस में बिठाकर उन्हें सिम्स चिकित्सालय में भरती कराया गया है। दोनों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

घटना की सूचना मिलने पर जिला कलेक्टर डॉ. संजय अलंग व अन्य अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गये। उन्होंने आग पर काबू पाने के लिए जरूरी निर्देश दिये। विधायक शैलेष पांडेय भी घटनास्थल पहुंचे और उहें संतोष व्यक्त किया कि कोई गंभीर दुर्घटना नहीं हुई। प्रथमदृष्टया आग लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है जिसमें कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज भी जलकर खाक हो गए हैं।

बिलासपुर के जिला पंचायत सीईओ रितेश अग्रवाल ने बताया कि शुक्रवार को सुबह सवा दस बजे जब आग लगी तब कार्यालय का कामकाज लगभग शुरू ही हुआ था। संभवतः शार्ट सर्किट हो जाने से आग लगी।  कार्यरत एक महिला सहित 6 कर्मचारी चैंबर में फैले धुएँ की चपेट में आ गए। तत्काल पुलिस और फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई। करीब एक-सवा घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। आग बुझाने और अन्दर फंसे कर्मचारियों को बाहर निकालने के प्रयास में फायर ब्रिगेड के 3 कर्मचारियों सहित कुल 9 लोगों को सिम्स अस्पताल में भर्ती किया गया।  सभी को सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत थी। सिम्स के डाक्टरों के मुताबिक सभी आहत खतरे से बाहर हैं और उनकी हालत स्थिर बनी हुई है। सिम्स अस्पताल की पीआरओ डॉ आरती पाण्डेय ने बताया कि आगजनी की घटना के बाद सिम्स में 9 प्रभावित लोग लाये गए थे। एक भी बर्न केस नहीं है सभी को केजुअल्टी वार्ड में रखा गया है। आग लगने से फैले धुएँ के कारण सभी को सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत थी। चार आहत इस घटना से ज्यादा प्रभावित हुए हैं लेकिन सभी खतरे से बाहर हैं। सिम्स में उनका उपचार चल रहा है।

जिला पंचायत में सुबह हुई आग लगने की घटना को शार्ट सर्किट बताया जा रहा है हालांकि आगजनी की जांच के लिए कारणों का जांच समिति की तीन दिन बाद मिलने वाली रिपोर्ट से पता चलेगा । इस आगजनी ने दो साल पहले 24-25 फरवरी 2017 की रात पुराने कम्पोजिट बिल्डिंग स्थित पशु चिकित्सा विभाग के संयुक्त संचालक कार्यालय में लगी आग की याद दिला दी है। इसकी जांच तत्कालीन अतिरिक्त कलेक्टर की अगुवाई में कराई गई थी,जिसमें पाया गया था कि यह आज साजिशन लगाई गई थी। इस घटना में 58 करोड़ रुपये के बजट में हुए खर्च के दस्तावेज गायब हुए थे और यहां पदस्थ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। हालांकि कार्रवाई सिर्फ चौकीदार पर की गई थी, जो उस रात ड्यूटी से गायब था।

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