बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में आज राज्य शासन की ओर से 18 प्लस वैक्सीनेशन को लेकर शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया और इसके लिए उसने समय मांगा। हाईकोर्ट ने सरकार को 4 जून तक समय दे दिया है।
उल्लेखनीय है कि 18 + कोविड टीकाकरण में राज्य सरकार द्वारा तय किए गए आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह शपथ पत्र प्रस्तुत कर बताए कि वैक्सीनेशन के लिए किसी तरह का वर्गीकरण नहीं किया गया है और वैक्सीन की बर्बादी नहीं हो रही है। कोर्ट ने कहा था कि यदि अंत्योदय श्रेणी के टीके बच रहे हैं तो उसे जरूरत वाली दूसरी श्रेणी में शिफ्ट किया जाए। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर के प्रोफेसर की ओर से दिए गए शपथ पत्र पर नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने पाया था कि इसमें पर्याप्त जानकारी नहीं है। कोर्ट ने मुख्य सचिव के हस्ताक्षर सहित शपथ पत्र देने के लिए कहा था।
मामले की सुनवाई आज अवकाश कालीन युगल पीठ में वर्चुअल हुई, जिसमें जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस पीपी साहू शामिल थे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वे समझते हैं कि टीकाकरण को लेकर राज्य सरकार और केंद्र की अपनी-अपनी पॉलिसी है। हम ऐसी कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते जिससे टीकाकरण का कार्य प्रभावित हो। वैक्सीनेशन सही तरीके से हो रहा है या नहीं हम इस पर जरूर नजर रख सकते हैं।
ज्ञात हो कि बीते 1 मई से प्रदेश में 18 से 44 वर्ष आयु के लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू किया गया है। इसमें सरकार ने सबसे पहले अति गरीब, अंत्योदय वर्ग के लिए टीके लगाने की घोषणा की थी। इस पर आपत्ति व्यक्त करते हुए पूर्व विधायक अमित जोगी व अन्य ने जनहित याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई हाईकोर्ट में कोरोना महामारी से जुड़ी स्वत संज्ञान जनहित याचिका के साथ की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि 18 + कोविड टीकाकरण में राज्य सरकार द्वारा तय किए गए आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह शपथ पत्र प्रस्तुत कर बताए कि वैक्सीनेशन के लिए किसी तरह का वर्गीकरण नहीं किया गया है और वैक्सीन की बर्बादी नहीं हो रही है। कोर्ट ने कहा था कि यदि अंत्योदय श्रेणी के टीके बच रहे हैं तो उसे जरूरत वाली दूसरी श्रेणी में शिफ्ट किया जाए। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर के प्रोफेसर की ओर से दिए गए शपथ पत्र पर नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने पाया था कि इसमें पर्याप्त जानकारी नहीं है। कोर्ट ने मुख्य सचिव के हस्ताक्षर सहित शपथ पत्र देने के लिए कहा था।
मामले की सुनवाई आज अवकाश कालीन युगल पीठ में वर्चुअल हुई, जिसमें जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस पीपी साहू शामिल थे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वे समझते हैं कि टीकाकरण को लेकर राज्य सरकार और केंद्र की अपनी-अपनी पॉलिसी है। हम ऐसी कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते जिससे टीकाकरण का कार्य प्रभावित हो। वैक्सीनेशन सही तरीके से हो रहा है या नहीं हम इस पर जरूर नजर रख सकते हैं।
ज्ञात हो कि बीते 1 मई से प्रदेश में 18 से 44 वर्ष आयु के लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू किया गया है। इसमें सरकार ने सबसे पहले अति गरीब, अंत्योदय वर्ग के लिए टीके लगाने की घोषणा की थी। इस पर आपत्ति व्यक्त करते हुए पूर्व विधायक अमित जोगी व अन्य ने जनहित याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई हाईकोर्ट में कोरोना महामारी से जुड़ी स्वत संज्ञान जनहित याचिका के साथ की जा रही है।