चार साल की बच्ची की रेप के बाद हत्या के मामले में 28 साल के आरोपी को मिली रियायत

बिलासपुर। चार साल की बच्ची से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या करने के आरोपी को निचली अदालत से सुनाई गई फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया है। आरोपी अपने पूरे जीवन तक जेल की सजा काटेगा।

राजनांदगांव की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पहली बार किसी मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। अभियोजन के अनुसार चिखली के कांकेतरा गांव में एक चार साल की बच्ची 22 अगस्त 2020 को अपने घर से गायब हो गई थी। परिवार के लोगों ने तलाशी की तो मालूम हुआ कि उसे घर के कुछ दूरी पर रहने वाले शेखर कोर्राम के साथ देखा गया था। पुलिस ने उसके घर की तलाशी ली तो बच्ची की हत्या करके अभियुक्त ने शव को पलंग के नीचे छिपा दिया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ हुआ कि बच्ची की के साथ रेप भी किया गया था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर पॉक्सो एक्ट और हत्या के मामला दर्ज कर राजनांदगांव की फास्ट ट्रैक कोर्ट में चालान पेश किया। अभियुक्त ने बताया कि रेप के बाद जब बच्ची ने चीख-पुकार शुरू कर दी तो उसने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी थी। इस घटना के विरोध मे नागरिकों ने राजनांदगांव में प्रदर्शन भी किया था। कोर्ट ने एक साल की सुनवाई के बाद अभियुक्त के कृत्य को घृणित व समाज के लिए कलंक बताते हुए फांसी की सजा सुनाई।

गिरफ्तारी के बाद से ही आरोपी रायपुर सेंट्रल जेल में बंद है। जेल में उसने अधिकारियों से गुजारिश की कि फांसी की सजा से उसे कुछ रियायत दी जाए। तब उसे राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से कानूनी सहायता पहुंचाई गई। हाईकोर्ट में उसकी ओर से अधिवक्ता ने पैरवी करते हुए कहा कि आरोपी की उम्र केवल 28 वर्ष है और जेल में उसका आचरण ठीक है। उसका इसके पहले आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है। प्रतीत होता है कि वह सुधरना चाहता है। इसलिए फांसी की कठोर सजा में रियायत दी जाए। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान जेल प्रशासन से रिपोर्ट मांगी, जिसने अधिवक्ता के रिपोर्ट की पुष्टि की। सुनवाई के पश्चात् जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस रजनी दुबे की डबल बेंच ने फांसी की सजा को निरस्त कर उसे पूरे जीवन के लिए जेल में बिताने की सजा सुनाई है।

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