रायपुर: हर माता-पिता का सपना होता है कि उसके बच्चे जब दुनिया में आए, तो वे अपनी आवाज और इशारे खुद बच्चे बनकर उसे सुना सके और शरारतें करें, उनकी यह भी ख्वाहिश होती है कि बच्चा जब बोलना सीखे तो हर टूटी-फूटी,अधूरी बात उनके कान सुन सके। लेकिन घनश्याम पांडे और श्रीमती सुनिता के साथ ऐसा नहीं हो पाया। उनके कान लंबे समय तक अपनी बिटियाँ श्रेया की आवाज सुनने को तरस गए

भोली सूरत और मीठी मुस्कान लिए श्रेया अभी 3 साल की है। वह जन्म से ही ठीक से सुन नहीं पाती है। श्रेया की मम्मी-पापा को यह बात तब पता चला जब वह दो साल की हुई। कुछ बोलने के बाद श्रेया को अपनी तरफ बुलाने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आने से और सामान्य बच्चों से अलग व्यवहार प्रदर्शित होने पर उन्हें अंदेशा हुआ कि जरूर कुछ न कुछ समस्या है। श्रेया को जब डॉक्टर के पास दिखाया गया तब मम्मी-पापा को भी मालूम हुआ कि श्रेया के दोनों कानों में कुछ सुनाई ही नहीं देती। ठीक से सुन नहीं पाने की वजह से ही वह कुछ बोलने में भी असमर्थ है

श्रेया का उपचार डॉ आंबेडकर अस्पताल, रायपुर में चल रहा है। 31 अक्टूबर को राज्य स्तरीय ई-मेगा कैम्प में वह मम्मी-पापा के साथ पहुँची, तो श्रेया को समाज कल्याण विभाग के माध्यम से निःशुल्क में श्रवण यंत्र प्रदान किया गया। अब इस श्रवण यंत्र से वह न सिर्फ अपनी मम्मी और पापा की आवाज सुन पाएगी अपितु आवाज सुनने के बाद बोलने की कोशिश भी करेगीरायपुर के भनपुरी इलाके में रहने वाले घनश्याम पांडे ने बताया कि वह एक निजी फैक्ट्री में काम करता है और आर्थिक तंगी के कारण अपनी बेटी का इलाज किसी बड़े अस्पताल में नहीं करा सकता। उसने बताया कि श्रवण यंत्र मिलने से श्रेया धीरे धीरे बोल पाएगी। श्रीमती सुनिता पांडे ने बताया कि उसे भरोसा है की जल्द ही श्रवण यंत्र से हमारी आवाज श्रेया के कानों तक जाएगी और वह मुझे ’मम्मी’ बोल पाएगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here