विभिन्न जिलों के पैरालीगल वालिंटियर्स का दो दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण प्रारंभ

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में बच्चों की सुरक्षा विषय पर राज्य के विभिन्न जिलों में नियुक्त पैरालीगल वालियंटर्स का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस प्रशान्त कुमार मिश्रा ने कहा कि बच्चों को मैत्रीपूर्ण विधिक सेवाएं और उनके संरक्षण, नशा पीड़ितों को विधिक सेवा, नशा उनमूलन के लिए विधिक सेवा तथा तस्करी और वाणिज्यिक यौन शौषण पीड़ितों को लिए विधिक सेवाएं योजना 2015 के तहत जन-जन तक पहुंचाने में पैरालीगल वालिंटियर्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। विधिक सेवा की गतिविधियां बिना पैरालीगल वालिंटियर्स के अच्छे से चलना संभव नहीं है। वालिन्टियर्स लीगल एड मूवमेंट की रीढ़ होते हैं। बच्चों को अधिकार दिलाने में पैरालीगल वालिंटियर्स की महती भूमिका होती है।

उन्होंने कहा कि गरीब और असहाय बच्चे जो समाज की मुख्य धारा से भटक कर अनजाने में, गरीबी के कारण कुछ अपराध कर बैठते हैं तो उन्हें किस कानून में क्या अधिकार दिये गये हैं, उन्हें बताकर उनके अधिकार वापस दिलाने का कार्य पैरालीगल वालिंटियर्स को करना है। इस तरह का कार्य करके छत्तीसगढ़ एक बेहतर उदाहरण प्रस्तुत करसकेगा। विधिक सेवा के कार्य का पूरा ज्ञान दिलाने के लिए वालिंटियर्स का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा यया है। आने वाले समय में भी यूनिसेफ, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं उच्च न्यायालय की किशोर न्याय कमेटी के द्वारा इस तर के कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे, ताकि बच्चों के सम्बन्ध में बने कानून व योजनाओं की जानकारी अधिक से अधिक हो सके।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश व उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी ने कहा कि पैरालीगल वालिंटियर्स अपने सीखने की परम्परा को निरंतर चालू रखें और इस ज्ञान के माध्यम से पीड़ित बच्चों को अधिक बेहतर ढंग से सुरक्षा प्रदान करें। पैरालीगल वालिंटियर्स विधिक सेवा के माध्यम से समाज सेवा का बहुत बड़ा कार्य कर रहे हैं। ये वालिन्टियर्स ही समाज के लोगों को उनके अधिकारों के बारे में बताता है और उनका अधिकार दिलाने में मदद करता है। विधिक सेवा संस्थान और आम जन के बीच पैरालीगल वालिंटियर्स एक कूरियर के समान होता है। वालिंटियर्स प्रशिक्षण में बताई गई चीजों को आत्मसात करें। पीड़ित व्यक्ति को सुरक्षा देने से मन को संतुष्टि मिलती है। अच्छे कर्म का परिणाम मिलता है। यह प्रशिक्षण आपके कार्य में गुणवत्ता लाने के लिए दिया जा रहा है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष जॉब जकारिया ने कहा कि देश में बच्चों के बहुत से कानून हैं, जैसे बच्चों की शिक्षा, बाल श्रम, पाक्सो आदि। हमारे देश में 52 प्रतिशत बच्चे यौन सम्बन्धित अपराधों के शिकार हैं। पैरालीगल वालिंटियर्स प्रशिक्षण प्राप्त कर बच्चों के विरुद्ध होने वाले अपराध के सम्बन्ध में अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करने का प्रयाय करें और उन्हें सबल बनायें। बच्चों को बतायें कि वे अपने विरुद्ध होने वाले अपराध को सहें नहीं उन्हें बतायें, ताकि अपराध रुके। यह कार्य प्रशिक्षित पैरालीगल वालिंटियर्स भली-भांति कर सकते हैं।

कार्यक्रम में विशेष रूप से जस्टिस विमला सिंह ठाकुर, जस्टिस रजनी दुबे, रजिस्ट्रार विजिलेंस दीपक तिवारी, रजिस्ट्री के न्यायिक अधिकारी, राज्य न्यायिक एकेडमी के डायरेक्टर के.एल. चरियाणी एवं अन्य अधिकारी, जिला न्यायाधी, अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एन.डी. तिगाला, जिला न्यायालय के न्यायिक अधिकारी, यूनिसेफ से चेतना देसाई व प्रियंका सेठी, जिला विधिक सेवा प्राधिकर रायपुर के सचिव उमेश उपाध्याय, बिलासपुर के सचिव बृजेश राय, दुर्ग के सचिव राहुल शर्मा, महासमुंद के सचिव मो. जहांगीर तिगाला, स्टेट बार कौंसिल के अध्यक्ष प्रभाकर सिंह चंदेल, वरिष्ठ अधिवक्ता निर्मल शुक्ला, अधिवक्ता गण, पैनल अधिवक्ता आदि बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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