दो दिवसीय जन-सुनवाई के पहले दिन कम पक्षकार पहुंचे

बिलासपुर । राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने आज उज्जवला होम की पीड़ित दो युवतियों का बयान दर्ज किया। अध्यक्ष ने कहा कि इनकी शिकायतें मनगढ़ंत नहीं है पर कार्रवाई के लिये वे मुख्य शिकायतकर्ता सहित अन्य युवतियों से बातचीत करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस और सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी यदि शिकायत पाई जाती है तो उन पर आयोग संज्ञान लेगा।

राज्य महिला आयोग ने आज व कल बिलासपुर में जन-सुनवाई रखी है। सरकंडा स्थित उज्ज्वला होम की घटनाओं को आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया था। अन्य मामलों के साथ आज वह इस मामले में पीड़ित युवतियों की शिकायत भी सुनने के लिये आई थीं लेकिन सिर्फ दो ने आयोग के समक्ष आकर बयान दिया। इनमें से एक युवती ने दुष्कर्म के आरोप को दोहराया। दूसरी असम की है जिसने टूटी-फूटी हिन्दी में प्रताड़ित किये जाने की बात कही। मुख्य शिकायतकर्ता नीता और उसके पति कुलदीप को भी आयोग ने बुलाया था, जिन्होंने उज्ज्वला होम में जबरदस्ती रोके जाने की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई थी, वे बयान देने के लिये नहीं पहुंची। उज्जवला होम में 10-12 लड़कियां थीं, जिनमें से अधिकांश को उनके अभिभावकों के पास भेज दिया गया है। नायक ने कहा कि वे बाकी लड़कियों से भी बात करके कड़ियों को जोड़ना चाहती हैं। उन्होंने एक एनजीओ की ओर से उज्ज्वला के संचालक के खिलाफ पुलिस को की गई लिखित शिकायत पर पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं करने को गंभीर मामला बताया। सरकंडा सीएसपी व महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी के उज्ज्वला होम संचालक का बचाव करने के आरोप पर उन्होंने कहा कि इस बारे में लिखित शिकायत मिलने पर वे कार्रवाई करेंगीं। पुलिस से कल वे इस मामले में अब तक की गई जांच की जानकारी लेंगीं।

एनएमडीसी में 71 लड़कियों को मिलेगी नौकरी

आयोग अध्यक्ष ने कहा कि एनएमडीसी में 10 साल पहले हुए अधिग्रहण में प्रभावित परिवारों की लड़कियों को जमीन का मुआवजा तो दिया गया लेकिन उन्हें नौकरी देने से मना कर दिया गया था। इस पर आई शिकायत की सुनवाई आयोग ने की है और कलेक्टर ने स्वीकार किया कि प्रावधानों को समझने में चूक हुई है। अब एक माह के भीतर सर्वेक्षण किया जायेगा, जिसमें प्रभावित 71 लड़कियों को नौकरी देने का रास्ता खुलेगा। सर्वे में प्रभावित परिवार के दो लोग, जनप्रतिनिधि अधिवक्ता और जिला प्रशासन के दो अधिकारी शामिल होंगे।

एक लाख रुपये तक दिला रहे भरण-पोषण

आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि उनके पास आई शिकायत के बाद कई मामलों में एक लाख रुपये तक का मासिक भरण पोषण दिया जा रहा है। कुछ मामलों में 25-50 हजार रुपये भी मासिक राशि तय हुई है। कोर्ट में ऐसे मामले लम्बे खिंचते हैं। सुकमा, नारायणपुर और बेमेतरा जिले से आयोग के पास कोई शिकायत नहीं है, इसलिये वहां जन सुनवाई अब तक रखने की जरूरत नहीं पड़ी। शेष सभी जिलों में अब तक कुल 52 शिविर लगाये जा चुके हैं। अब तक 400 मामले निपटाये जा चुके हैं जबकि 1198 का निराकरण किया जाना है।

आज रखी गई जन सुनवाई के नतीजे संतोषजनक नहीं रहे। आयोग ने सुनवाई के लिये 22 मामले आज रखे थे लेकिन केवल तीन-चार में ही पक्षकार उपस्थित हुए। अधिकांश मामले कल के लिये टाल दिये गये। कल 29 जनवरी को भी जन-सुनवाई रखी गई है।

 

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