जांजगीर जिला न्यायालय में महात्मा गांधी के जीवन दर्शन पर विचार गोष्ठी

जांजगीर। जिला न्यायालय जांजगीर के सभाकक्ष में आज महात्मा गांधी के जीवन दर्शन पर केंद्रित विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया।  इसमें मुख्य वक्ता के रुप में विचार रखते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप दुबे ने कहा कि उनके जीवन में वकालत के 22 वर्ष बहुत महत्वपूर्ण थे। 1891 में गांधीजी ने बाम्बे से अपनी प्रैक्टिस शुरू की। वकालत के प्रारंभिक दिनों में उन्हें बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने करीब 22 सालों तक दक्षिण अफ्रीका में वकालत की।

दुबे ने कहा कि यह वही समय था जब उन्होंने देखा कि अंग्रेज प्रवासी भारतीयों सहित अन्य समुदायों पर किस तरह अत्याचार कर रहे हैं। कैसे वहां की सरकार ने अप्रवासी भारतीयों को मताधिकार से वंचित रखने की कोशिश की। हिंदू विवाह को अवैध घोषित किया गया। इन सब कृत्यों के विरुद्ध गांधीजी ने एक वकील की हैसियत से ही अंग्रेजों से कानूनी लड़ाई लड़ी और मजदूरों को जुल्मों से बचाया। दुबे ने अधिवक्ताओं से अपील की कि वे महात्मा गांधी के संघर्षों को अपने जीवन में स्थान दें और उनका अनुसरण करें। कार्यक्रम जिला अधिवक्ता संघ की ओर से आयोजित किया गया था। बार के अध्यक्ष नरेश शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया।

कार्यक्रम में जांजगीर जिला न्यायालय के न्यायाधीश के आर रिंगरी सुरेश जून, जेएस पटेल, अपर सत्र न्यायाधीश, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी संतोष महोबिया न्यायिक मजिस्ट्रेट तथा अधिवक्ता गण उपस्थित थे। जांजगीर अधिवक्ता संघ को आज सांसद विवेक तनखा की ओर से कंप्यूटर और प्रिंटर का नया सेट प्रदान किया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here