सरकार पर आरोप-नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए गांधी जयंती का इस्तेमाल किया जा रहा

बिलासपुर । जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने आरोप लगाया है कि बीते तीन माह के भीतर प्रदेश में तीन हजार से ज्यादा गायों की भूख, बीमारी या सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो चुकी है। इसके लिए सरकार ही जिम्मेदार है क्योंकि  उसने अपनी सबसे महत्वाकांक्षी गौठान योजना चला रखी है।

मरवाही सदन में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व विधायक अमित जोगी ने कहा कि पाली, कोरबा के जिस केराझरिया ग्राम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के पहले गौठान का उद्घाटन किया था, वह उजड़ चुका है। पाली की पार्टी प्रदेश उपाध्यक्ष गीता नेताम की मौजूदगी में जोगी ने बताया कि वहां बनाये गये शेड पहली बारिश में ही बह चुके हैं। तनख्वाह नहीं मिलने के कारण वहां के चरवाहों ने गौठान में आना बंद कर दिया है और गायों  के लिए वहां चारा नहीं है। प्रदेश सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना नगवा, गरूवा, घुरूवा, बारी है। बाकी तीन पर तो कुछ काम नहीं हुए पर प्रदेश में 1500 गौठान तैयार किये गये हैं। पत्रवार्ता में मौजूद विधायक धर्मजीत सिंह ठाकुर की ओर मुखातिब होकर उन्होंने बताया कि विधानसभा में सवाल उठाया गया है कि एक गौठान का खर्च सालाना 50 लाख रुपये है। प्रदेश में 20 हजार गांव है, जिसके लिए 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत है। सरकार के पास इसका पैसा कहां से आयेगा? शराब से होने वाली आमदनी का तो एक प्रतिशत भी वह यहां खर्च नहीं कर रही है और खजाना खाली है, केन्द्र ने इसे मनरेगा में भी शामिल नहीं किया है। निजी गौशालाओं को भी अनुदान बंद है। विधानसभा में इस प्रश्न का जवाब नहीं मिला।

जोगी ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ देश में सबसे ज्यादा शराब बिक्री वाला राज्य बन गया है। बीते छह माह में सरकार ने 2700 करोड़ रुपये की शराब बेची, इतना रमन सरकार एक साल में बेचती थी। जिस पार्टी ने गंगाजल हाथ में लेकर शराबबंदी की शपथ ली थी उसने शराब की बिक्री, दाम, ब्रांड, खुलने का समय और काउन्टर की संख्या सब बढ़ा दी। सरकार ने इतने खदान बंद कमरों में बांट दिये, जितने 15 साल में भाजपा सरकार ने नहीं बांटे होंगे। प्रदेश अकेला ऐसा राज्य हो गया है जहां सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की सदस्यता लेने की छूट दे दी गई है।

अमित जोगी ने कहा कि सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए गांधी जंयती पर पदयात्रा कर रही है। इससे भी बात नहीं बनी तो कभी गोडसे, सावरकर और राम के नाम पर बयानबाजी कर लोगों का ध्यान बांटा जा रहा है।

अमित जोगी ने स्पष्ट किया कि जाति छानबीन समिति की जांच प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जो समिति की रिपोर्ट आने पर स्वतः निरस्त हो गई। यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि जाति छानबीन की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई फैसला दिया है, जबकि सच्चाई यह है कि यह मामला हाईकोर्ट में लम्बित है, जिसकी सुनवाई इसी माह 16 अक्टूबर के आसपास हो सकती है।

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