रायपुर। विधानसभा में आज विपक्ष ने हसदेव में पेड़ों की कटाई के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने इस विषय पर चर्चा की मांग उठाई, जिसे आसंदी ने नामंजूर कर दिया। इसका विरोध करते हुए कांग्रेस सदस्य गर्भगृह में चले गए। वे स्वमेव निलंबित हो गए, बाद में बहाल कर दिए गए।
नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि हसदेव क्षेत्र में सभी कोल ब्लॉक रद्द करने को लेकर इस सदन में ही 26 जुलाई 2022 को संकल्प पारित किया गया था। केंद्र सरकार को पत्र प्रेषित किया गया। इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। सरकार बनने और मुख्यमंत्री बनने के पहले ही वन विभाग ने हसदेव में 15 हज़ार 307 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी। उन्होंने कहा कि विधानसभा ने अशासकीय संकल्प पारित होने के  बाद भी इस तरह का आदेश दुखद हैय़ ये गंभीर समस्या है। हसदेव खत्म होने से बांगो बांध खत्म हो जाएगा, वन खत्म हो जाएगा.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इसी सदन में सर्वसम्मति से अशासकीय संकल्प पारित किया गया था। इसके बाद भी कटाई की अनुमति दे दी गई. ये कौन सी अदृश्य शक्ति है, जिसने पेड़ों की कटाई की अनुमति दी। इससे वन्यजीव प्रभावित होंगे, वहां के आदिवासी प्रभावित होंगे। बांगो बांध प्रभावित होने की वजह से कई जिलों की सिंचाई  प्रभावित होगी।
कांग्रेसी विधायक कुंवर निषाद, विक्रम मंडावी, अनिला भेड़िया अटल श्रीवास्तव हर्षिता बघेल और सावित्री मंडावी ने कहा कि हसदेव को केंद्र और राज्य का विषय ना बनाकर आदिवासियों के हित में फ़ैसला लिया जाना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने हजारों सालों से इस जंगल को बचाकर रखा है। ये वन्य जीवों के साथ साथ आदिवासी संस्कृति को ख़त्म करने जैसा है। राघवेंद्र सिंह ने कहा कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया था कि हसदेव क्षेत्र के किसानों की कमाई 160 फीसदी बढ़ी है। ये सघन क्षेत्र के जंगल हैं। खड़गवा क्षेत्र में वन अधिकार पट्टे बंटे हैं। राजस्थान के पास पर्याप्त कोयला है। उसका काम चल सकता है। इसके बाद भी काटने की अनुमति दी गई है तो ये गंभीर मुद्दा है।
भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने हसदेव के लिये उस समय मुझे विशेष अनुमति दी थी, जब वह खुद आसंदी पर बैठे थे। बिसाहू दास महंत, रामचंद्र सिंहदेव जैसे नेताओं ने बांगो बांध की कल्पना की थी। सारे विकास के काम गंगरेल में हो रहे थे, बागों में नहीं। जो आज आदिवासी हितों को रक्षा की बात कर रहे हैं, उनमें से एक आदमी भी बोलने खड़ा नहीं हो रहा था। मैंने ये भी कहा था कि राहुल गांधी जब मदनपुर आये थे, तब जिस चबूतरे में बैठे थे, वहां के किसानों की ज़मीन बेदख़ल करने का आदेश भी पिछली सरकार ने दिया था। पिछली सरकार ने तीन आदेश देकर पेड़ों को आरी देने का काम किया। ये काम विष्णुदेव साय सरकार ने नहीं किया। उस दिन मैं चीख-चीख कर कह रहा था कि पेड़ों की कटाई के सभी आदेशों को रद्द कर दिया जाए। उस दिन ही सख्ती से सरकार अपने सभी आदेशों को रद्द कर देती तो ज्यादा बेहतर होता।

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