बिलासपुर। गुरु घासीदास की विश्वविद्यालय की सामाजिक विज्ञान अध्ययनशाला अंतर्गत शिक्षा विभाग में विशिष्ट बालकों के एनजीओ के शैक्षिक कार्यक्रमों का मूल्यांकन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में इस क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ की संख्या 44 है। इनमें से 19 एनजीओ श्रवण बाधित एवं दृष्टि बाधित बालकों के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। सर्वे के दौरान दो एनजीओ के मौजूदा पते पर नहीं मिलने के कारण कुल 17 एनजीओ का अध्ययन किया गया।

शोधार्थी जय हिंद विश्वकर्मा इस विषय का अध्ययन कर रहे हैं। वे अपना शोध कार्य डॉ. सोनिया स्थापक, सहायक प्राध्यापक, के निर्देशन में कर रहे हैं। उक्त शोध का विषय ‘‘छत्तीसगढ़ में उपस्थित विशिष्ट बालकों के शैक्षिक कार्यक्रम का मूल्यांकन‘‘ है। इस शोध कार्य के अंतर्गत वे एनजीओ को प्राप्त धनराशि, उक्त धनराशि के शैक्षिक कार्यक्रमों का उपयोग, एनजीओ को विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त अनुदान व उनका उपयोग व एनजीओ द्वारा संचालित विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों का अध्ययन कर उसका मूल्यांकन कर रहे हैं। दृष्टि बाधित, कर्ण बाधित व अन्य प्रकार के शारीरिक रूप से अक्षम विशिष्ट बालक समाज की मुख्य धारा से कटे हुए हैं। ऐसे बालकों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कई स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) कार्य कर रहे हैं। इस शोध का उद्देश्य विशिष्ट बालकों के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ की कार्यप्रणाली, उनके आय के स्त्रोत, उनके द्वारा संचालित शैक्षिक कार्यक्रमों का मूल्यांकन करना है।

अपने शोध अध्ययन में शोधार्थी ने छत्तीसगढ़ के कुल 17 एनजीओ का अध्ययन किया। इस शोध से प्राप्त निष्कर्ष से विशिष्ट बालकों के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ की समस्याओं एवं उसके समाधान की जानकारी भी मिलेगी।

 

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