वन विभाग का दावा कटघोरा रेंज में महिला पर हमला करने वाला भालू यह नहीं

बिलासपुर । बेलगहना वन परिक्षेत्र में एक भालू के हमले से 65 वर्ष के वृद्ध की मौत हो गई। भालू ने अन्य दूसरे राहगीरों पर भी हमला कर दिया जिससे आसपास के लोगों में दहशत फैली हुई थी। भालू को वन विभाग की टीम ने पकड़ लिया है और संक्रामक रोग की आशंका से उसे कानन पेंडारी लाने के बजाय एक नर्सरी में रखकर उसका इलाज किया जा रहा है।

कटघोरा वन परिक्षेत्र के दर्री इलाके में सोमवार को एक भालू ने दो महिलाओं पर हमला कर दिया था जिसमें से एक गंभीर रूप से घायल हो गई थी और दूसरी महिला को जान गंवानी पड़ी थी। इसके बाद कटघोरा से लेकर पाली तक के वन ग्रामों में भालू को लेकर दहशत फैल गई थी। कटघोरा मंडल के वन विभाग ने उस भालू को ट्रैंक्यूलाइजर से बेहोश किया और उसे पकड़ने के बाद बिलासपुर के कानन पेंडारी मिनी जू में भेजने की योजना बनाई लेकिन पकड़े जाने के बाद उसे चैतुरगढ़ के जंगल में किसी स्थान पर छोड़ने का निर्णय लिया गया। जब चैतुरगढ़ और पाली के गांवों में इस बात का पता चला कि वन विभाग पकड़े गये भालू को उनके इलाके में छोड़ने की योजना बना रहा है तो लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। सोमवार की रात से पाली से लेकर चैतुरगढ़ तक के रास्ते में ग्रामीणों ने नाकाबंदी जैसी स्थिति बना दी और वन विभाग को वहां से लौटने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद भालू को खोंगसरा के जंगल में छोड़ दिया गया।

इधर बेलगहना रेंज में गौरेला और खोंगसरा के बीच मंगलवार को एक भालू ने एक राह चलते 65 वर्षीय बुजुर्ग पर हमला कर दिया। इससे उसके सिर, नाक और चेहरे पर काफी चोट आई और खून भी बहने लगा। रास्ते में मोटरसाइकिल पर सवार दो लोग जा रहे थे, भालू ने उन पर भी हमला किया और उन्हें हड़बड़ी में बाइक छोड़कर भागना पड़ा। बाइक को क्षति पहुंचाने के बाद काफी देर तक भालू वहीं पर अर्ध बेहोशी की हालत में पड़ा रहा। इस बीच सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम वहां पहुंची। घायल बुजुर्ग अर्जुनी भाटापारा निवासी कृष्ण कुमार चौबे को सिम्स चिकित्सालय बिलासपुर के लिये रवाना किया गया लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। वन विभाग की टीम ने भालू को बिना ट्रैंक्यूलाइजर के इस्तेमाल किये ही रेस्क्यू कर लिया गया।

मरवाही वन मंडल के डीएफओ राकेश मिश्रा ने बताया कि कटघोरा के जंगल से लाकर किसी भालू को इस इलाके में लाकर छोड़ा गया है इसकी उन्हें जानकारी नहीं है लेकिन मंगलवार को जिस भालू ने हमला किया उसे काफी पहले से इस इलाके में देखा जाता है। इसके साथ एक मादा भालू भी रहती है। भालू भी हमले के कारण घायल है और बीमार है। उसे रैबीज की आशंका है, इसलिये न तो कानन पेंडारी में छोड़ा गया है न ही जंगल में। इससे बीमारी दूसरे जानवरों में फैलने की आशंका है। इसलिये उसका इलाज वन विभाग की एक नर्सरी में किया जा रहा है। भालू के स्वस्थ होने के बाद ही विचार किया जायेगा कि उसे सुरक्षित रूप से कहां छोड़ा जा सकता है। डीएफओ का कहना है कि उक्त भालू हिंसक या आदमखोर है यह कहना ठीक नहीं है क्योंकि ठंड के मौसम में वे धूप के लिये विचरण करते हैं, इस दौरान कुछ घटनायें हर साल होती हैं। भालू अपने जान को खतरा मानकर बचाव के लिये हमला करते हैं। आम तौर पर इस भालू ने ग्रामीणों पर हमला नहीं किया है। वे इसे बहुत दिनों से यहां देख रहे हैं।

 

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