विधानसभा चुनाव में बना था बड़ा मुद्दा, बारामासी प्रवाह की प्रतीक्षा कर रहे शहर के लोग, 15 साल तक भाजपा सरकार भी करती रही उपेक्षा

बिलासपुर। मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री भूपेश बघेल द्वारा प्रस्तुत पहले बजट में बिलासपुर के लिए मल्टी सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल और स्मार्ट सिटी के लिए राशि का प्रावधान किया गया है लेकिन अरपा नदी के उन्नयन के लिए कोई घोषणा नहीं की गई, जबकि यह चुनाव में एक बड़ा मुद्दा था।

मुख्यमंत्री बघेल ने आज विधानसभा में वर्ष 2019-20 के लिए बजट प्रस्तुत किया। इसमें बिलासपुर के लिए  मल्टी सुपरस्पेशिलिटी हास्पिटल का प्रावधान किया गया है। यह हास्पिटल सिम्स चिकित्सालय के अधीन रहेगा। सिम्स के नये चिकित्सालय के लिए कोनी में जगह आवंटित की जा चुकी है। बजट में इसका प्रावधान हो जाने के बाद इसी सत्र में निर्माण प्रारंभ होने की संभावना है। बिलासपुर के अलावा जगदलपुर में ये मल्टी सुपर हास्पिटल बनेगा, जिसके लिए 22 करोड़ रुपये दिये गये हैं। रायपुर के अलावा छत्तीसगढ़ में बिलासपुर को भी स्मार्ट सिटी परियोजना में शामिल किया गया है। इसके बजट में 396 करोड़ रुपये की बड़ी राशि आवंटित की गई है। बिलासपुर में बजट की उपलब्धता नहीं होने के कारण स्मार्ट सिटी पर काम रुका हुआ था, जिसमें अब तेजी आने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय बजट में स्मार्ट सिटी के लिए राशि का आवंटन इस बार कम किया गया है। नये बजट में कामकाजी महिलाओं के लिए आवास गृह की संभागीय मुख्यालय में व्यवस्था की गई है, जिसका लाभ बिलासपुर को भी मिलेगा। संभागीय मुख्यालयों में पेयजल की जांच के लिए प्रयोगशाला स्थापित किया जाना है, जिसका लाभ भी बिलासपुर को मिलेगा। ग्रामीणों को साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए चलित पेयजल संयंत्र देने की घोषणा भी बिलासपुर के लिए की गई है। बिलासपुर सहित प्रदेश के कुछ शहरों में भविष्य के लिए पेयजल आपूर्ति करने अमृत मिशन की योजना पर काम किया जा रहा है, बजट में इसके लिए 231 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं। बिलासपुर के केन्द्रीय जेल में अन्य जेलों की तरह ही कैदियों की संख्या क्षमता से काफी अधिक है। इसे देखते हुए 1500 की क्षमता वाले नये जेल भवन बनाने की घोषणा भी बजट में हुई है।

जिले की अरपा-भैंसाझार परियोजना पर काम लगभग पूरा हो चुका है लेकिन इसमें जल-भराव नहीं हो रहा है जिसके लिए 127 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया गया है। जल संसाधन विभाग ने इसके लिए दो वैकल्पिक योजना बनाई थी, जिनमें नलकूपों का खनन और भैंसाझार के ऊपरी नालों में छोटे-छोटे बंधान बनाकर मुख्य बांध तक पानी लाना शामिल है। संभवतः इस राशि से ये काम कराये जाएंगे। हालांकि यह सवाल बराबर उठता रहा है कि अरपा भैंसाझार बांध में जल संग्रह का अनुमान नहीं था तो भारी-भरकम राशि खर्च कर इसे तैयार क्यों किया गया। इस बांध में पानी लाने के लिए नलकूपों की खुदाई को अव्यवहारिक बताया जा रहा है। बांध में पानी लाने के लिए छोटे-छोटे बांध और बनाने की योजना कारगर होगी या नहीं इस पर भी प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है।

इधर पूरा शहर अरपा नदी के अस्तित्व को लेकर चिंतित है। बारिश के कुछ दिनों को छोड़कर यह पूरे साल सूखी ही रहती है। शहर के भू-जल स्तर को बनाये रखने में शहर के बीचों-बीच गुजरने वाली अरपा नदी का ही योगदान रहा है। पर बीते कुछ सालों से पानी का लेवल नीचे जा रहा है। इसके लिए अरपा के उन्नयन की जरूरत बरसों से महसूस की जा रही है। नई सरकार से इसके लिए बजट में प्रावधान की उम्मीद थी लेकिन इस पर कोई घोषणा नहीं की गई। विधायक शैलेष पांडेय की पहल पर नदी के लिए 216 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बजट में शामिल करने के  लिए दिया गया था, जिसमें बैराज और एनिकट बनाने का काम किया जाना है। बिलासपुर में अरपा विकास प्राधिकरण का कार्यालय वर्षों से खोलकर रखा गया है। अरपा के उन्नयन के लिए 2400 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बजट भी तैयार किया गया है लेकिन पिछले कई सत्रों से इसके लिए राशि नहीं दी जा रही थी या फिर नाम-मात्र दी जा रही थी। ऐसे में अरपा विकास  प्राधिकरण के औचित्य पर भी सवाल उठ रहे हैं। विधानसभा चुनाव में अरपा नदी को बारहमासी बहाव वाली नदी बनाने और उसे पुनर्जीवित करना कांग्रेस के प्रमुख वायदों में से एक था। अरपा विकास प्राधिकरण का काम ठप पड़ जाने के कारण तत्कालीन मंत्री व स्थानीय विधायक अमर अग्रवाल के प्रति लोगों में नाराजगी भी थी, चुनाव परिणामों के अनेक कारणों में एक यह भी था। जिस प्रमुखता से कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भाजपा को लगातार घेरा था उम्मीद थी कि सरकार बनने के बाद इस पर कोई बड़ी घोषणा की जायेगी, पर ऐसा हुआ नहीं। अरपा नदी के दोनों किनारों पर एनओसी के बिना जमीन की खरीदी बिक्री पर प्राधिकरण के गठन के बाद प्रतिबंध लगाया गया था, जिसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वापस लेने की घोषणा कर दी है। यह काम आसान था जिसका अरपा की सूरत बदलने से कोई लेना-देना नहीं है। यह अलग बात है कि यह आदेश अब तक लागू नहीं हो पाया है। अरपा शहर वासियों के लिए जीवनदायिनी है, पर बजट में इसके लिए कोई आवंटन नहीं होने से लगता है कि नदी का पुराना वैभव लौटाने में अभी भी खासा वक्त लगेगा।

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