बिलासपुर। जिले के कोटा विकासखंड मुख्यालय में पिछले 40 दिनों से लॉकडाउन में फंसे बेबस आदिवासी परिवार के चेहरे तब खिल उठे उन्होंने देखा कि उन्हें मध्यप्रदेश की सीमा तक छोड़ने के लिए बस तैयार खड़ी है। कलेक्टर डॉ. संजय अलंग ने संवेदनशीलता दिखाते हुए उनकी समस्या दूर की।

इस मदद की प्रतीक्षा वे बीते कई दिनों से कर रहे थे, पर सही जगह तक उनकी व्यथा नहीं पहुंच पा रही थी। खुरई, जिला-सागर, मध्यप्रदेश के माखन गोंड और उसका परिवार जिसमें महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे सहित 24 लोग शामिल थे। ये लोग बीते 21 मार्च को भोपाल बिलासपुर पैसेंजर से करगीरोड (कोटा) स्टेशन पर उतरे थे। वे हाट-बाजार में ढोलक और प्लास्टिक का सामान बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं। कोटा में कुछ दिन रुकने के बाद उन्होंने भोरमदेव (कबीरधाम जिला) के मेले में जाने की योजना बनाई थी और उसके बाद उन्हें अपने घर वापस लौटना था। स्टेशन पर उतरने के बाद वे लॉकडाउन के कारण फंस गये। उन्हें कुछ दिन स्टेशन के बाहर तम्बू में गुजारना पड़ा लेकिन बाद में समाजसेवियों की मदद से उन्हें कोटा के अग्रसेन भवन में रुकने की जगह दे दी गई। नगर पंचायत और अग्रसेन भवन की ओर से उन्हें भोजन सामग्री भी उपलब्ध करायी जा रही थी। लॉकडाउन के तीसरे चरण के दौरान जब दूसरे प्रदेशों में फंसे लोगों को अनुमति देने की सुविधा शुरू हुई तो उनके पास घर लौटने के लिए पैसे नहीं बचे थे। उनकी समस्या का कोई निराकरण भी नहीं कर रहा था।

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जनसम्पर्क विभाग की टीम कल समाचार संकलन के लिए कोटा पहुंची थी। वहां अग्रसेन भवन में भी प्रवासी श्रमिकों के रुकने की जानकारी मिली तो वे वहां पहुंचे थे। यहां रुके हुए लोगों ने उन्हें अपनी पीड़ा बताई और मदद करने की गुहार लगाई। टीम ने तुरंत कलेक्टर डॉ. अलंग को मैसेज भेजकर उनकी परेशानी से अवगत कराया। कलेक्टर ने तत्काल इसको संज्ञान में लेकर कोटा एसडीएम को उन्हें राज्य की सीमा तक सुरक्षित छोड़ने का निर्देश दिया। एसडीएम आनंदरूप तिवारी ने उनके लिये बस की व्यवस्था की और आज उन्हें मध्यप्रदेश की सीमा चिल्फी घाटी तक छोड़ा गया।

 

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